
यूआईडीएआई ने बयान जारी कर कहा कि ऐसा पाया गया है कि ये ऐप्स लोगों से अत्यधिक पैसा चार्ज करते हुए आधार संबंधित सेवाएं दे रहे हैं, जिसमें आॅनलाइन आधार कार्ड डाउनलोड करना, आधार जेनरेशन, पीवीसी आधार कार्ड का स्टेटस उपलब्ध करना शामिल है। इसके लिए वे लोगों से गैरकानूनी तरीके से आधार नंबर और एनरॉलमेंट डीटेल ले लेते हैं। यूआईडीएआई के सीईओ डॉ अजय भूषण पांडे ने कहा, 'यूआईडीएआई ने इन मोबाइल ऐप्लीकेशन या वेबसाइट को आधार संबंधित सेवाएं उपलब्ध कराने का अधिकार नहीं दिया है।
UIDAI ने कहा कि आधार संबंधित डेमोग्राफिक सूचना आधार ऐक्ट, 2016 के तहत ही शेयर किए जा सकते हैं। इसका उल्लंघन करना आधार ऐक्ट की धारा 38 और चैप्टर-7 के तहत दंडनीय अपराध है। पांडे ने कहा कि अनाधिकृत वेबसाइट और मोबाइल ऐप मालिकों को आधार ऐक्ट और कॉपीराइट ऐक्ट का उल्लंघन करते हुए आधार लोगो का इस्तेमाल को लेकर चेताया गया है। पांडे ने कहा, 'हम उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई पर विचार कर रहे हैं।'
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