
करनाल के न्यू हाउसिंग कालोनी में रहने वाले अशोक गुप्ता पिछले 24 सालों से फास्ट फूड की रेहड़ी लगा रहे हैं। उनका सपना अपने बेटे व बेटियों को सदैव कामयाब आदमी बनाने का रहा। गौरव ने एमबीए किया। वो भी अपने पिता की तरह कोई नया बिजनेस करना चाहता था परंतु पूंजी नहीं थी, इसलिए नौकरी की तलाश में निकल गया।
50 हजार से शुरू किया था कारोबार
गौरव ने 6000 की नौकरी से कॅरियर शुरू किया था। कुछ सालों में तनख्वाह 25 हजार हो गई, लेकिन सपना था कि बिजनेस करे। बुद्धा ग्रुप के डायरेक्टर नितेश ने रास्ता दिखाया। पैसे कम थे इसलिए मुश्किल से 50 हजार रुपये इकट्ठा किए और छोटे स्तर पर बिजनेस शुरू किया। कुछ ही दिनों में उसने अपनी सूझबूझ से दिल्ली जैसे बड़े शहर में खुद को स्थापित कर लिया। गौरव ने कंपनी में 12 युवाओं को भी रोजगार दे रखा है।
दिल्ली में लगाई फैक्टरी
गौरव के आज दिल्ली में दो ऑफिस और एक फैक्टरी के साथ ही चंडीगढ़ में भी ऑफिस है। दो साल पहले शुरू की कंपनी का आज करीब डेढ़ करोड़ रुपये का सालाना टर्न ओवर है। गौरव की इस सफलता के पीछे पिता अशोक कुमार व मां शशि बाला का बड़ा हाथ है। सीमित आय के बाद भी इस दंपति ने बेटे की उम्मीदों को पंख दिए।
अब पिता के लिए खोलेगा शोरूम
गौरव का सपना है कि वह अब न्यू हाउसिग बोर्ड में 24 साल से रेहड़ी लगा रहे पिता अशोक कुमार गुप्ता के लिए इंटीरियर वॉलपेपर का शोरूम खोलेगा। इसके लिए प्रयास भी शुरू कर दिए हैं। उसकी तमन्ना है कि पिता अब आराम करें। करीब 60 वर्षीय अशोक गुप्ता का कहना है कि शोरूम के बाद भी वह फास्ट फूड की रेहड़ी बंद नहीं करेंगे। इसी से कमाए पैसों की बदौलत उसने गौरव के साथ ही अपनी तीनों बेटियों को उच्च शिक्षा दिलाई। रविवार को राहगीरी में गौरव के साथ पिता अशोक व मां शशि बाला को सम्मानित किया गया।