पटरी पर उतरी गरीबों की शताब्दी एक्सप्रेस

नई दिल्ली। अंतत: गरीबों की शताब्दी एक्सप्रेस 'अंत्योदय एक्सप्रेस' पटरी पर आ ही गई। यह शताब्दी जैसी लक्झरी तो नहीं है लेकिन किसी खटारा पेंसेंजर से काफी अच्छी है। इसमें वो सारी सुविधाएं हैं जो जनरल क्लास में सफर करने वाला एक आम नागरिक चाहता था। इस ट्रेन की घोषणा साल 2016 के रेल बजट में की गई थी। केंद्र सरकार ने समाज में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए 'अंत्योदय योजना' चलाई थी। इस ट्रेन में एलईडी लाइट्स और चार्जिंग प्वाइंट के साथ कई खासियत है।

सुरेश प्रभु ने अंत्योदय एक्सप्रेस की शुरुआत करते हुए कहा कि इस सुविधा से आम लोगों को फायदा मिलेगा। यह ट्रेन पूरी तरह से अनारक्षित है और इसमें महिला-पुरुष एक साथ सफर कर सकेंगे।

क्या है खासियत?
यह ट्रेन सुविधाओं के साथ-साथ दिखने में भी काफी आकर्षक हैं। रेलवे ने अंत्योदय के लिए दीनदयालु कोच का प्रस्ताव साल 2016 में रखा था। इस कोच के बाहरी हिस्सा लाल-पीले रंग में रंगा गया है। इसकी सीट काफी गद्देदार है और जनरल-स्लीपर में एक जैसी सीटें हैं। दीनदयालु कोच में बायोटॉयलेट और डस्टबीन के अलावा पानी पीने के लिए एक्वागार्ड भी लगा हुआ है, जो अभी तक किसी भी श्रेणी के कोच में नहीं लगा हुआ है। इसके अलावा मोबाइल-लैपटॉप चार्ज करने के लिए हर जगह प्वॉइंट लगे हुए हैं। कोच में एलईडी लाइट्स का इस्तेमाल किया गया है।

कितना है किराया?
आम लोगों की जेब को ध्यान में रखकर इस ट्रेन का किराया मेल और अन्य एक्सप्रेस ट्रेनों की तुलना में 15 फीसदी ज्यादा रहेगी। पहले इनका किराया 25-30 फीसदी तक ज्यादा होने के कयास लगाए जा रहे थे।

क्या है रूट?
पहली अंत्योदय एक्सप्रेस ट्रेन मुंबई से झारखंड के टाटानगर के बीच चलाई जाएगी। बता दें कि रेलवे बोर्ड ने यह निर्णय 'हमसफर एक्सप्रेस' से प्रभावित होकर लिया है।
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