शिवराज सरकार ने कहा: सफल रही मुख्यमंत्री युवा कॉन्ट्रेक्टर योजना

भोपाल। मप्र में मुख्यमंत्री युवा कॉन्ट्रेक्टर योजना के तहत शासन ने प्रशिक्षण के नाम पर लगभग ढाई करोड़ रुपए खर्चा कर दिया। जबकि केवल 315 युवा इंजीनियर्स ने ही ठेकेदारी के लिए रजिस्ट्रेशन कराया। इस योजना में युवा इंजीनियर्स का दर्द पहले ही सामने आ चुका है। उनका कहना है कि सरकारी विभाग में काम और क्वालिटी की कोई वेल्यू नहीं है। जो ज्यादा रिश्वत देगा उसे काम मिल जाएगा। फिर इंजीनियरिंग के बाद ठेकेदारी करके उसी कचरे में शामिल होने की क्या जरूरत। 

योजना के तहत दो चरणों में 810 युवा इंजीनियरों को ठेकेदार बनाने पर शासन ने 231.68 लाख खर्च किए। प्रशिक्षण लेने वाले इन युवा इंजीनियरों में से सिर्फ 315 ने ही ठेकेदारी के लिए पंजीयन कराया है। तीसरे चरण का प्रशिक्षण चल रहा हैं। यह जानकारी विस के बजट सत्र के दूसरे दिन बुधवार को लोक निर्माण मंत्री रामपाल सिंह ने लहार विधायक डॉ.गोविंद सिंह के सवाल पर लिखित जवाब में दी।

मंत्री ने बताया कि 23 अगस्त 2013 से प्रारंभ हुई इस योजना के तहत पहले चरण में 151.88 लाख व द्वितीय चरण में 79.68 लाख स्र्पए 810 युवाओं के प्रशिक्षण पर खर्च हुए। प्रशिक्षण के बाद 315 युवाओं ने ठेकेदार बनने के लिए अपना पंजीयन कराया है। तीसरे चरण में 389 प्रशिक्षणार्थी प्रशिक्षणरत हैं। इन पर लगभग 21.94 का खर्च हो चुका है।

फेल नहीं हुई योजना 
मंत्री ने योजना के फेल हो जाने की बात नकारी हैं। चूकि योजना फेल नहीं है, इसलिए इस मामले में किसी भी अधिकारी के विस्र्द्ध कार्रवाई भी प्रस्तावित नहीं है। दरअसल विधायक डॉ.गोविंद ने पूछा था कि क्या अधिकारियों की लापरवाही व उदासीनता के चलते योजना फेल हो चुकी है।

मजेदार बात यह है कि इस मामले में ना तो विधायक महोदय ने यह पूछा कि कितने ठेकेदार पंजीयन कराने के बाद नियमित रूप से काम कर रहे हैं और ना ही सरकार ने यह जवाब दिया। जमीनी हकीकत यह है कि सभी टेलेंटेड इंजीनियर्स जिन्हे अच्छा काम करना आता था, पंजीयन के बाद भाग गए हैं। वो सिस्टम में मौजूद कमीशनखोरी के लिए तैयार नहीं हैं। एक मंत्री और युवती इंजीनियर के बीच का विवाद काफी चर्चा में रहा था। 

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !