TAX चोर को कोई मदद नहीं दी जा सकती: HIGH COURT

ALLAHABAD | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि टैक्स देना नागरिकों की कानूनी ज़िम्मेदारी है और दायरे में आने के बावजूद टैक्स अदा न करना कानूनन अपराध है। अदालत ने यह भी कहा है कि कपट और बेईमानी से टैक्स चोरी करने वाली कंपनी या व्यक्ति को क़ानून का संरक्षण कतई नहीं मिल सकता। 

अदालत ने यह तल्ख़ टिप्पणी करते हुए यूपी के गाज़ियाबाद में फर्जी कंपनी व इनवायस पर जय माता दी कार्गो सर्विस प्राइवेट लिमिटेड के 27 लाख 25 हजार 624 रूपये के माल के साथ ट्रक की जब्ती कार्यवाही को वैध करार दिया है। अदालत ने कंपनी को किसी तरह की राहत देने से साफ मना भी कर दिया है।

कोर्ट ने कहा है कि फ्रॉड करने वाली कंपनी को अपनी गलतियों का तकनीकी कारणों से लाभ नहीं दिया जा सकता. ऐसा करने से कानून का उद्देश्य बेमतलब हो जाएगा. कोर्ट ने कहा है कि प्रत्येक नागरिक का दायित्व है कि वह टैक्स का भुगतान करे. जो कम सीधे तौर पर नहीं किया जा सकता उसे परोक्ष रूप से करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. कोर्ट ने वाणिज्य कर आयुक्त की याचिका को स्वीकार करते हुए 33 हजार 400 की सिक्योरिटी लेकर ट्रक का माल छोड़ने के आदेश को रद्द कर दिया है और विभाग द्वारा 10 लाख 90 हजार 250 रूपये सिक्योरिटी जमा करने पर जब्त माल छोड़ने के आदेश को वैध करार दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति एस.पी.केसरवानी ने वाणिज्य कर आयुक्त की तरफ से अधिवक्ता विपिन कुमार पाण्डेय को सुनकर दिया है. मालूम हो कि वाणिज्य कर विभाग पीलीभीत के सचल दस्ते के एक ट्रक पकड़ा. जो फर्जी इनवायस पर गाजियाबाद से लोड किया गया था. जिसे माल देना था उसका पता नहीं था. कंपनी को नोटिस दिया गया. जब्ती आदेश के खिलाफ अपील पर 81 हजार के बीस सामान के सिवाय अन्य माल 32400 रूपये की सिक्योरिटी लेकर छोड़ने का आदेश दिया. याचिका में इसे चुनौती दी गयी थी. ट्रक में 78 इनवायस थी जिसमें सक 76 फर्जी थी, बेचने वालों का पता नहीं था. विपक्षी कंपनी का कहना था कि माल दिल्ली यूपी बार्डर से लोड किया गया है. प्रदेश के बाहर माल पर टैक्स नहीं लगेगा किन्तु कोर्ट ने इसे नहीं माना और कहा कि गाजियाबाद से लगा वह निर्जन क्षेत्र नहीं है, फर्जी कागजात पर व्यापार कर तकनीकी आधार पर राहत नहीं दी जा सकती. कोर्ट ने याचिका मंजूर कर ली है.

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