विश्व बैंक के एक ताजा अध्ययन के अनुसार ऑटोमेशन के कारण भारत में 69 प्रतिशत और चीन में 77 प्रतिशत नौकरियों पर खतरा है। विश्व बैंक के अनुसार टेक्नोलॉजी विकसित देशों के पारंपरिक आर्थिक विकास के प्रारूप के बुनियादी तौर पर बदल देगी। मंगलवार (4 अक्टूबर) को ब्रूकिंग इंस्टिट्यूट में एक परिचर्चा के दौरान विश्व बैंक के प्रमुख जिम योन्ग किम ने कहा, “हम विकास को बढ़ावा देने के लिए आधारभूत ढांचे में ज्यादा निवेश करने के लिए प्रेरित करते रहते हैं, साथ ही हमें ये भी सोचना होगा कि भविष्य की अर्थव्यवस्था के लिए हमें किस तरह के आधारभूत ढांचे की जरूरत पडे़गी। हम सब जानते हैं कि टेक्नोलॉजी दुनिया को बुनियादी तौर पर बदलती रहेगी।” विकट गरीबी से जुड़े एक सवाल के जवाब में किम ने कहा, “कृषि उत्पादन बढ़ाने फिर हल्के निर्माण उद्योग की तरफ बढ़ने के बाद पूरी तरह औद्योगीकरण तक पहुंचने का पारंपरिक आर्थिक तरीका संभव नहीं है।”
किम ने कहा कि अफ्रीका के बड़े हिस्से में टेक्नोलॉजी विकास के तरीके को बुनियादी तौर पर बदल देगी। किन ने कहा, “विश्व बैंक के आंकड़ों के अाधार पर लगाए गए अनुमान के अनुसार ऑटोमेशन के कारण भारत में 69 प्रतिशत नौकरियों पर और चीन में 77 प्रतिशत नौकरियों पर खतरा है। इथियोपिया में ऑटोमेशन के कारण 85 प्रतिशत तक नौकरियां जा सकती हैं।” किम ने कहा कि अगर ये सच है तो इन देशों में आने वाले समय में बहुत ज्यादा नौकरियां जाने वाली हैं इसलिए इन देशों के आर्थिक विकास को समझना होगा और उसके हिसाब से अपना रवैया बदलना होगा।
किन के अनुसार संभव है कि चीन को अपनी एक बच्चे की नीति के कारण बाल कुपोषण कम करने में मदद मिली है। किम ने कहा, “एक बच्चे की नीति इसका एक कारण हो सकती है लेकिन असल मुद्दा ये है कि शिक्षा के परिणाम और बाल कुपोषण की स्थिति देखें तो भारत में 38.7 प्रतिशत बच्चे कुपोषित हैं यानी भारत के कामगार तबके का करीब 40 प्रतिशत ग्लोबल डिजिटल इकोनॉमी में प्रतिस्पर्धा करने के लायक नहीं होगा। जबकि चीन ने इसे काफी कम कर दिया है।” किम ने कहा कि भारत में सार्वजनिक स्वच्छता का अभाव भी एक कारण हो सकता है जिसकी वजह से बच्चे लगातार डायरिया के शिकार होते रहते हैं। किम ने कहा कि इन देशों के नेताओं को इस स्थिति को आपातकाल समझकर इससे निपटना होगा।