बालाघाट बैगा आवास घोटाला: हाईकोर्ट जजों ने की थी जांच, फिर भी नहीं हुई कार्रवाई

भोपाल। दुनिया भर में लुप्त होती जा रही आदिवासी प्रजाति 'बैगा' के संरक्षण के लिए सरकार करोड़ों खर्च कर रही है परंतु काम सारे केवल फाइलों में ही होते हैं। यहां तक कि बैगा आदिवासियों को आवास भी कागजों में ही बांट दिए गए। हाईकोर्ट जजों की कमेटी ने जांच करके फर्जीवाड़ा प्रमाणित किया था और ईओडब्लयू को कार्रवाई के लिए लिखा था लेकिन ईओडब्ल्यू ने आज तक चार्जशीट ही पेश नहीं की। 

ईओडब्ल्यू के अधिकारियों के मुताबिक बालाघाट जिले के 233 गांव में बैगा आदिवासियों के लिए घर बनाने की योजना थी। आदिवासी विभाग और जिला प्रशासन के अफसरों ने 81 लाख रुपए के फर्जी वाउचर तैयार कर गबन कर लिया था। हाई कोर्ट के आदेश के बाद ईओडब्ल्यू ने बालाघाट के बैहर थाने में 35 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की, लेकिन गिरफ्तारी नहीं हुई।

बैगा आदिवासियों के लिए संरक्षण सह विकास योजना के तहत मकान निर्माण होना था। हाई कोर्ट की कमेटी कर चुकी है जांच ईओडब्ल्यू की जांच का सुस्त रवैया हाईकोर्ट द्वारा ज्यूडिशियल जांच के बाद भी बरकरार है। हाई कोर्ट की जांच कमेटी ने स्पष्ट किया था कि बैगा आदिवासियों के लिए मकान कागजों पर ही बने हैं, वहीं जो मकान बनाए भी गए, वे गुणवत्तापूर्ण नहीं थे। इसके बाद हाई कोर्ट ने सरकार से मामले में जवाब तलब भी किया था।

मामले की विस्तार से जांच करने के लिए इसे ईओडब्ल्यू को सौंपा गया था। 100 गांवों का सत्यापन आठ महीने से मामले की जांच कर रही ईओडब्ल्यू बालाघाट के 1 ब्लॉक के 100 गांव की जांच ही कर पाई है। एजेंसी को 3 ब्लॉक के 233 गांव में बैगा आदिवासियों के लिए बनाए गए मकानों का भौतिक सत्यापन करना है।

अगले महीने पेश हो सकती है चार्जशीट
ईओडब्ल्यू अगले महीने चार्जशीट पेश कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक चार्जशीट पेश होने से पहले कुछ गिरफ्तारियां हो सकती हैं। इस मामले में विभाग और बैंक अधिकारियों की मिलीभगत सामने आ रही है।

छह जिलों में बंदरबाट
बैगा आदिवासियों के घर के नाम पर हुई बंदरबाट बालाघाट ही नहीं मंडला, डिंडौरी, शहडोल, अनूपपुर और उमरिया में भी हुई है। इसकी शिकायत हाई कोर्ट तक पहुंची है। माना जा रहा है कि बैगा आदिवासियों के 4500 घरों को लेकर घोटाला हुआ है। आदिम जाति कल्याण विभाग ने भी हाई कोर्ट में जवाब पेश कर दिया है। विभाग की प्रमुख सचिव अलका उपाध्याय के मुताबिक हाई कोर्ट को लिखा है कि जो भी दोषी होंगे, उनके खिलाफ एफआईआर होगी।

हाई कोर्ट की कमेटी जांच में ये पाए गए थे आरोपी
सत्येंद्र मरकाम, असिस्टेंट कमिश्नर 
जेपी सरवटे, तत्कालीन परियोजना प्रशासक, बैहर 
एसएस शिवणकर, सहायक परियोजना प्रशासक, बैहर (अब सेवानिवृत्त)
राजेंद्र गिरी गोस्वामी, स्टेनो, एपीओ कार्यालय, बैहर
सेवा सहकारी समिति बैंक के ब्रांच मैनेजर(निधन हो गया)
एक अन्य कर्मचारी

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !