
मालूम हो कि मेडिकल में प्रवेश के लिए नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) का पक्ष लेते हुए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) ने सुप्रीम कोर्ट में अपना हलफनामा दायर किया था।
MCI ने अपने हलफनामे में कहा था कि एमसीआई ने कहा है कि अल्पसंख्यक संस्थाओं के मेडिकल कॉलेजों में कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (नीट) के जरिये दाखिले से उनकी धार्मिक स्वतंत्रता का हनन नहीं होता है। अच्छे और सक्षम डॉक्टर से इलाज कराना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है और मेडिकल के प्रवेश में मेरिट से समझौता होने पर नागरिकों के अधिकार का हनन होता है।
इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि जब तक मामले पर निर्णय होता है नीट को लागू किया जा सकता है। दरअसल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने नीट पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि एमसीआई के पास यह अधिकार नहीं है कि वो नीट को प्रायवेट संस्थानों पर थोंपे साथ ही यह कदम अल्पसंख्यक समुदाय के शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और चलाने की संवेधानिक गारंटी का हनन भी करता है।