पटवारी ने पहनी घूस की टोपी, लोकायुक्त ने खोपड़ी लाल कर दी

जबलपुर। खसरे और नक्शा में गलती सुधार करने के नाम पर किसान से 3 हजार रुपयों की रिश्वत मांगने वाले पटवारी को लोकायुक्त पुलिस ने रंगे हाथ ट्रेप किया है। शुक्रवार की दोपहर 12.30 बजे पेंटीनाका चौक पर हुई इस कार्रवाई के बाद आरोपी को लोकायुक्त टीम तहसीली दफ्तर लेकर पहुंचीं और उसके खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध दर्ज किया।

लोकायुक्त एसपी पद्मविलोचन शुक्ल ने बताया कि बरेला के सोहड़ गांव में रहने वाले गणेश प्रसाद पटेल ने शिकायत की थी कि उसकी पैतृक जमीन का कुछ हिस्सा दूसरों के नाम गलती से चढ़ गया था। जिसके सुधार के लिए उसने बरेला तहसीली ऑफिस में आवेदन दिया था लेकिन हल्का क्रमांक 48 के पटवारी उमाशंकर उपाध्याय गलती सुधार के नाम पर उससे 3 हजार की रिश्वत मांग रहे हैं। शिकायत जांच के दौरान गणेश ने 1 हजार रुपए बतौर रिश्वत उमाशंकर को दे दिए थे। बाकी का पैसा शुक्रवार को देने की बात तय हुई थी।

एसपी शुक्ल के अनुसार कार्रवाई के लिए निरीक्षक नीलेश दोहरे, स्वप्निल दास, आदित्य सेन, प्रधान आरक्षक रामजी सिंह, आरक्षक विनोद की टीम बनाकर गणेश के साथ भेजी गई थी। शुक्रवार की दोपहर गणेश ने उमाशंकर को फोन लगाया जिस पर उमाशंकर ने उसे पेंटीनाका चौक पर बुलाया था।

टोपी में रखवाए पैसे
करीब 12.30 बजे उमाशंकर अपनी वैगनआर कार से पहुंचा जिस पर गणेश ने उसे दो हजार रूपए दिए। लेकिन उमाशंकर स्टेयरिंग के पास रखी टोपी में पैसे रखने के लिए कहा। जैसे ही गणेश ने उसमें पैसे रखे और उमाशंकर ने टोपी पहनी जांच दल ने उसे ट्रेप कर लिया। जांच दल ने टोपी के साथ उमाशंकर का सिर पर भी पानी डाला जिससे उसका सिर लाल हो गया। कार्रवाई के बाद उमाशंकर को तहसीली दफ्तर ले जाकर आगे की कार्रवाई की गई।

टीम के पास आए कई मैसेज
बताया जा रहा है कि आरोपी पटवारी के पकड़े जाने की बात फैलते ही टीम के सदस्यों को बधाई देने के लिए कई मैसेज आए। इसके अलावा पटवारी से पीड़ित अन्य लोगों ने भी अपने व्यथा सुनानी शुरू कर दी। जिसकी जांच की जाएगी। सूत्रों के अनुसार साल 2005 में पटवारी उमाशंकर के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस ने धारा 7 के तहत अपराध दर्ज किया था। जिसमें उमाशंकर बरी हो गया था। धारा 7 का उपयोग रिश्वत मांगने के आरोप पर किया जाता है।

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