पटना। विकास के नाम पर बिहार में सच की सफेद तस्वीर तो हर दिन सामने आती है लेकिन कई बार कुछ ऐसी भी तस्वीरें आती हैं, जो इस विकास की पोल खोल देता है। नदियों-नालों पर चचरी पुल तो बहुत देखा होगा, लेकिन महानदी पर चचरी पुल, यह अपने-आप में आश्चर्यजनक है। इस पुल पर से ट्रक और बस छोड़ कर सभी तरह की गाड़ियां गुजरती हैं। बदले में चुकाना पड़ता है महज 10 रुपये।
खगड़िया में कोसी नदी पर कई गांवों के लोगों ने मिल कर नावों का एक ऐसा ही खास पुल बनाया है। यह पुल सिर्फ एक गांव नहीं तीन जिलों को जोड़ता है। कोसी त्रासदी के कई साल बीत जाने के बाद छतिग्रस्त पुल को सरकार ने आज तक नहीं बनवाया है। कई बार लोगों ने सरकारी अधिकारियों से मिल इसके लिए गुहार लगाई पर नतीजा सिफर ही रहा। सरकारी दफ्तरों की चौकड़ी करते हुए लोग थक गए थे। उसके बाद लोगों ने खुद पुल का निर्माण कर लिया।
खगड़िया जिले के महेशखूंट में कोसी नदी पर बना पुल पिछले कई सालों से छतिग्रस्त है और आवागमन पूरी तरह बाधित है। इसे बाधा को खत्म करने के लिए लोगों ने एकता की सेतु बनाई। गांव के लोगों के पास न तो इंजीनियर थे न सीमेंट ना ही मजबूत लोहे का खंभा।
इलाके के लोगों ने एक तकनीक विकसित की और 2 जिलों के नाव चलाने वालों ने मिलकर एक प्लान बनाया। इसके मुताबिक आसपास के इलाकों में चलने वाले तमाम नावों को इकट्ठा किया गया और कुल मिलाकर 80 नावों को जोड़कर पुल का आकार दिया गया। पुल बनाने के दौरान नाविकों ने तमाम तकनीकि पहलुओं का भी ख्याल रखा। 80 नावों से पानी निकालने के लिये 40 पम्पिंग सेट का भी सहारा लिया गया।
नावों को जोड़कर मजबूत लकड़ी और बांस को जोड़ कर पाथ वे तैयार किया गया। हर नाव पर 24 घंटे एक आदमी की ड्यूटी रहती है, जो खतरे से निपटने के लिये हमेशा तैयार रहते हैं। इस पुल की तकनीकी दक्षता ऐसी है कि ट्रक और बस छोड़कर तमाम वाहन गुजरते हैं।
हर नाविक होती एक हजार तक की कमाई
नाविक रामधीन सहनी बताते हैं कि प्रत्येक नाव देने वालों को सौ से एक हजार के बीच हर रोज शेयर मिल जाता है। नदी पार करने वाली छोटी बड़ी गाड़ियों से दस रुपए से लेकर डेढ़ सौ रुपये तक किराया वसूला जाता है।
नेपाल तक की यात्रा करते हैं
इस पुल को पार कर लोग नेपाल तक की यात्रा करते हैं। तीन जिलों के लोगों के लिए ये पुल लाइफ लाइन है। खगड़िया, सहरसा और मधेपुरा जिले के लोग सीधे तौर पर नावों के पुल का लाभ उठाते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि बाढ़ के दिनों में पुल को बन्द कर दिया जाता है।