
महाष्टा 1957 से जूते-चप्पलें बनाने का काम शुरू किया था, लेकिन 122 साल की उम्र में वे इस काम से भी सेवानिवृत हो गए. मुरासी का कहना है कि उन्हें जिंदा रहते हुए एक लंबा अरसा बीत चुका है. इस बीच उनके परनाती-परपोतों को भी मरे एक अरसा बीत चुका है. महाष्टा करते हैं कि शायद मौत मेरे बारे में भूल गई है, वह कभी आती ही नहीं है. वे कहते हैं कि अब तो ऐसा लगता है मुझे मौत कभी आएगी ही नहीं.
अगर आप आंकड़े देखे तो पाएंगे कि 150 से ज्यादा उम्र तक कोई नहीं जी पाया है. मुझे तो कई बार लगता है कि अमर हूं या फिर कुछ और बात है. लेकिन अब मैं अपनी जिंदगी को आनंद से जीता हूं और मुझ में अभी भी जीने की तमन्ना बाकी है. महाष्टा मुरासी कई बार अधिकारियों को अपने जन्म प्रमाण पत्र और पहचान पत्र भी दिखा चुके हैं. महाष्टा मुरासी का कई बार मेडिकल चेक-अप भी किया जा चुका है, लेकिन उनकी वास्तविक उम्र को लेकर डॉक्टर अभी भी आशांकित हैं.
मुरासी की जांच करने वाले अंतिम डॉक्टर भी 1971 में मर चुके हैं. इसलिए उनकी पुरानी मेडिकल जांचों की फाइल अब मुश्किल से ही उपलब्ध हो पाती हैं. मुरासी को जानने वाले लोग कहते हैं कि इनके पास शायद कोई दैवीय शक्ति है. कुछ लोगों का कहना है कि इन्हें भीष्म पितामह की तरह कोई वरदान मिला हुआ है.