नाग देवता की चिता की परिक्रमा दी और फन पटक कर सती हो गई नागिन

जगदीश शुक्ला/जौरा। विगत पखबारे भर से जौरा तहसील के खेरिया गांव में चल रहे नाग-नागिन के घटनाक्रम का आज दोपहर उस समय दुखद पटाक्षेप हो गया जब ग्रामीणों ने मृत नाग का अंतिम संस्कार किया। नाग को मारने बाले ग्रामीण रघुराज जाटव द्वारा मृत नाग की चिता को अग्नि दी, बैसे ही नागिन ने चिता की परिक्रमा कर अपना फन पटक कर अपनी जान भी दे दी। 

चमत्कारिक घटनाक्रम के बाद खेरिया गांव का सिद्ध स्थल श्यामदेव बाबा मंदिर परिसर सती मैया के जयकारों से गूंज उठा। नागिन द्वारा नाग के अंतिम संस्कार के समय ही दम तोड़े जाने से ग्रामीण नागिन को सती का स्वरूप मान रहे हैं। इसी के चलते ग्रामीण महिला-पुरूषों ने मृत नागिन की श्रृद्धापूर्वक पूजा अर्चना करते हुए उसी चिता में नागिन का भी अंतिम संस्कार कर दिया।

उल्लेखनीय है कि गत 22 दिसम्बर को खेरिया गांव के ग्रामीण रघुराज जाटव ने उस समय नाग-नागिन के जोड़े को मारकर खेत में फैंक दिया जब वह पशुओं के लिये चारा काट रहा था। रघुराज के मुताबिक उसने दोनों को लाठी से मारकर खेत में फैंक दिया था, लेकिन दूसरे दिन ग्रामीण उस समय हैरान रह गये जब उन्होंने उसी स्थान पर मृत नाग के पास नागिन को जिंदा घूमते हुए देखा। 

ग्रामीणों द्वारा मृत नाग को पास के ही श्यामदेव बाबा मंदिर के परिसर में एक पेड़ के नीचे रख दिया था। उसी दिन से नागिन बगैर कुछ खाये पीये मृत नाग के  पास ही रह रही थी। ग्रामीण उसी दिन से इस घटना को चमत्कार मानकर नागिन के नाग के साथ ही सती होने का कयास लगा रहे थे। ग्रामीणों का यह कयास बुधवार की दोपहर उस समय सच साबित हो गया जब ग्रामीणों ने काफी समय बीत जाने के कारण नाग का अंतिम संस्कार करने का निर्णय लिया। 

खेरिया के ही रिंकू पाराशर एवं बैजनाथ पाराशर का कहना था कि आज नाग के अंतिम संस्कार के लिये चिता को रघुराज ने जैसे ही अग्नि दी, कई दिनों से मृत नाग के साथ रह रही निढाल पड़ी नागिन ने नाग की चिता की परिक्रमा की और चिता के सामने ही अपना फन पटक कर अपनी जान दे दी। नाग के अंतिम संस्कार के बाद ही नागिन की मौत की खबर मिलते ही इस कौतूहल पूर्ण बाकये को देखने के लिये गांव में सैकड़ों लोगों के पहुंचने का तांता लग गया। ग्रामीण अब मृत नाग और उसके साथ सती हुई नागिन का मंदिर बनवाने की योजना बना रहे हैं। 

एकादशी के दिन दोनों ने त्यागे प्राण
नाग एवं नागिन की मौत का एक अजीब इत्तिफाक भी चर्चाओं में आया है। जानकारी के अनुसार रघुराज ने जिस दिन नाग और नागिन को लाठी से मारा था जिसमें नाग की मौत हो गई थी उस दिन धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण मानी जाने बाली एकादशी तिथि थी। आज सोलहबे दिन जब नाग के अंतिम संस्कार के समय नागिन ने फन पटककर अपनी जीवन लीला समाप्त की उस दिन भी एकादशी की तिथि थी। मान्यता है कि एकादशी के दिन मौत होने पर उस प्राणी की मुक्ति हो जाती है। इसी अनूठे संयोग के चलते माना जा रहा है कि नाग-नागिन भी पूर्व जन्म के सिद्ध एवं योगी रहे होंगे जिन्हें एसी अद्भुत मौत मिली। 

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