भोपाल। 6वें वेतनमान के लिए लड़ रहे अध्यापकों ने मुख्यमंत्री को 18 अक्टूबर तक का समय दिया है। या तो इससे पहले सीएम उन्हें बातचीत के लिए बुला लें, या फिर 25 अक्टूबर से आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा।
अध्यापक नेता सोमवार को एडीएम कोर्ट में पेशी पर आए थे। इसके बाद वो आर्यसमाज भवन पहुंच गए और नई रणनीति बनाने लगे। लोक शिक्षक संचालनालय की नजर उनकी हर हरकत पर बनी हुई थी। अधिकारियों ने एक बार फिर अपना पैंतरा फैंक दिया। सभी नेताओं को डीपीआई बुलाया गया, जहां से पिछली बार गिरफ्तार करवाकर भेजा गया था। शाम करीब 5:30 बजे संचालक लोक शिक्षण राजेश जैन, सहायक संचालक एसबी धोटे की उपस्थिति में बैठक शुरू हुई।
अधिकारियों ने अपडेट दिया कि मुख्यमंत्री उन्हें कभी भी वार्ता के लिए बुला सकते हैं। इसके बाद मांगों पर बात चली, तो अधिकारियों ने शिक्षा विभाग में संविलियन के मसले पर फिर ना-नुकुर की, तो अध्यापकों ने तथ्य रखते हुए कहा कि 1956 में जनपद सभा ने शिक्षकों की नियुक्ति की थी। इन शिक्षकों का संविलियन एक फार्मूले के तहत 1 अक्टूबर 1965 को जारी आदेश से किया गया। अध्यापकों ने इन शिक्षकों की सेवा पुस्तिकाएं भी दिखाईं। अध्यापकों ने कहा कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी संविलियन हो चुका है। उन्होंने यह भी कहा कि शासन ने विभाग के सभी कैडर को डेड घोषित कर रखा है। ऐसे में 2025 तक सभी शिक्षक सेवा निवृत्त हो जाएंगे। जिससे विभाग का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा।
अध्यापक छठा वेतनमान दिसंबर-15 तक देने पर भी कायम रहे। उन्होंने कहा कि सरकार के सामने आर्थिक संकट है, तो अभी दिसंबर-15 तक छठा वेतनमान देने के आदेश जारी कर दें। भले ही एरियर्स की राशि एक साल बाद दे दें। ताकि 7वें वेतनमान में शामिल होने का रास्ता साफ हो जाए। अध्यापकों ने अनुग्रह राशि बढ़ाने, अनुकंपा नीति, तबादला नीति और एईओ की भर्ती में अध्यापकों को महत्व देने की बात भी रखी। बैठक में अध्यापक नेता आरिफ अंजुम, भरत पटेल, टीएल बघेल, राकेश नायक, हनीफ खान, दिग्विजय सिंह चौहान, राकेश पटेल, जावेद खान, रामबाबू शर्मा और शिल्पी सिवान शामिल हुए।