भोपाल। सरकार मप्र में घरेलू हिंसा रोकने में पूरी तरह से बिफल हो गई है। खुद सरकारी रिकार्ड इसके गवाह हैं। गौरवी वन स्टॉप काइसिस सेंटर का रिकार्ड बताता है कि एक साल में 10 हजार से ज्यादा शिकायतें दर्ज हुईं परंतु कोर्ट तक मात्र 94 मामले ही पहुंचे।
दरअसल शिवराज सरकार ने बड़े धूमधाम के साथ 'गौरवी वन स्टॉप काइसिस सेंटर' की शुरूआत की थी। उषा किरण योजना के तहत बने इसे सेंटर की स्थापना के समय कहा गया था कि घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाएं बस एक फोन कर दें, उन्हें हर संभव मदद दी जाएगी। इससे प्रभावित होकर एक साल में 10944 महिलाओं ने फोन कर मदद मांगी।
लेकिन जैसा सोचा था वैसा नहीं हुआ। पीड़ित महिलाओं की शिकायतें सरकारी प्रक्रिया में उलझ गईं। शिकायतों के निराकरण का कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया। आंकड़े बताते हैं कि मात्र 94 मामले ही कोर्ट तक पहुंच पाए। शेष मामलों में क्या हुआ सेंटर संचालकों को भी नहीं पता।
गौरवी वन स्टॉप क्राइसिस की प्रभारी शिवानी सैनी का कहना है कि जेपी अस्पताल में बनाए गए गौरवी सेंटर में हर दिन 30 फोन पहुंचते हैं। फोन पर महिलाएं अपनी व्यथा बताती हैं कि उनके साथ कैसा अत्याचार हो रहा है लेकिन बात जब काउंसलिंग और केस रजिस्टर्ड करने की आती है तो वे कई बार सेंटर से किए गए फोन को रिसीव भी नहीं करतीं।
कई बार तो रॉन्ग नंबर या पति सामने हैं, कहकर फोन काट देती हैं। शिवानी का कहना है इस योजना का उद्देश्य किसी को पति से दूर करना नहीं है बल्कि एक ऐसा परिवार देना है जिसमें सभी बिना किसी हिंसा के खुशी से रहें। महिलाएं पुलिस के झमेले में फंसने के डर से आगे नहीं आ पा रहीं।
यहां संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों को समझना चाहिए कि घरेलू हिंसा एक नाजुक मामला होता है। महिलाएं कई कारणों से मजबूर होतीं हैं और वो इस तरह के समाधान नहीं चाहतीं जैसे कि योजना के तहत उपलब्ध कराए जा रहे हैं। मामलों के हेंडलिंग का तरीका बदल दिया जाना चाहिए।