WGC की रिपोर्ट: भारत का हॉलमार्क गड़बड़ है

नई दिल्ली। भारत की हॉलमार्क गोल्ड ज्वैलरी की शुद्धता भरोसेमंद नहीं रह गई है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने गुरुवार को जारी रिपोर्ट में यह बात कही। जब हॉलमार्क ज्वैलरी की शुद्धता ही खरी नहीं होगी तो बिना हॉलमार्किंग ज्वैलरी के क्या हाल होंगे? हॉलमार्किंग ज्वैलरी ज्यादातर बड़े शहरों में ही मिलती है। छोटे शहरों, कस्बों-गांवों में तो अब भी गैर हॉलमार्किंग ज्वैलरी ही यूज की जाती है।

चिंता की बात क्या
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल का कहना है कि भारत में हॉलमार्क ज्वैलरी की शुद्धता ग्लोबल स्टेंडर्ड जैसी नहीं है। कई देशों में यहां की ज्वैलरी भरोसेमंद नहीं मानी जाती। भारत में 30% से भी कम हॉलमार्क ज्वैलरी हैं। खास बात यह है कि इनमें भी पूरी शुद्धता नहीं है। यहां करीब 4 लाख ज्वैलर्स हैं। हॉलमार्क सेंटर की कमी के कारण ज्यादातर अब तक भारतीय मानक ब्यूरो के मानक अपना नहीं पाए हैं। काउंसिल का मानना है अगर हॉलमार्किंग के रूस्स सही किए जाएं तो 5 साल में भारत का गोल्ड ज्वैलरी एक्सपोर्ट 8 अरब डॉलर से बढ़कर 40 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम को भी फायदा होगा।

क्या है रिपोर्ट में
> देश में 30% हॉलमार्क ज्वैलरी ही बिकती है।
> गांवों में तो हॉलमार्किंग कोई जानता तक नहीं है। एज्युकेडेट लोगों में से भी सिर्फ आधे ही इस पहचानते हैं।
> नए हॉलमार्किंग सेंटर्स को टैक्स में छूट दी जाए। ज्वैलर्स के लिए रेटिंग सिस्टम बने। हॉलमार्किंग कम्पलसरी की जाए।

प्रॉब्लम इसलिए हैं क्योंकि
देश में 316 हॉलमार्किंग सेंटर्स हैं। तमिलनाडु में 58, राजस्थान में सिर्फ 11, मध्यप्रदेश में चार ही सेंटर्स। सबसे ज्यादा सेंटर्स साउथ इंडिया (153) में। नॉर्थ इंडिया में 111 और वेस्ट इंडिया में सिर्फ 65 हैं।
हॉलमार्किंग कम्पलसरी नहीं है और ग्राहकों में अवेयरनेस भी लिमिटेड ही है। इसीलिए एक ही दुकान में हॉलमार्क और बिना हॉलमार्क दोनों बिकते हैं।
सोम सुंदरम पीआरएमडी, डब्ल्यूजीसी इंडिया

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