इस लड़की ने खुद की जालसाजी की जांच, तब दर्ज हो पाई FIR

इंदौर। प्राइवेट कंपनियों में नौकरियां और कर्मचारियों के साथ शोषण व जालसाजी अब आम हो चला है, ज्यादातर कर्मचारी इसे सहन कर लेते हैं परंतु स्वाती यादव जैसी कुछ लड़कियां फ्रॉड को सबक सिखाकर ही दम लेतीं हैं। स्वाती के साथ भी सेलेरी फ्रॉड हुआ। उसने पुलिस से मदद मांगी, लेकिन पुलिस ने सुनवाई नहीं की। स्वाती ने मामले की खुद तहकीकात की, सबूत जुटाए और फिर पुलिस के सामने पेश किए, तब कहीं जाकर एफआईआर दर्ज हो सकी।

मामला वृंदावन कॉलोनी की स्वाति यादव का है। वह कैडिला कंपनी में काम करती थी। उसे हर महीने वेतन स्लिप से मिलता था। जुलाई 2013 में उसने काम छोड़ा तो कंपनी ने चेक से पेमेंट करने को कहा। स्वाति मान गई और कुछ दिन बाद उसने ट्राय किया तो उसे बार-बार टरकाया जाता कि अभी पेमेंट या चेक नहीं आया। उसे पता चला कि 23 हजार का चेक आया था, लेकिन वापस अहमदाबाद स्थित हेड ऑफिस भेज दिया गया।

उसने अहमदाबाद बात की तो पता चला कि उसका चेक तो भुना लिया गया है। उसने इंदौर के देवास नाका वाले ऑफिस में संपर्क किया तो पता चला कि उसकी सैलरी शाजापुर के चिलावद की आईसीआईसीआई बैंक के अकाउंट से निकाली गई है। इसके बाद उसने इंदौर पुलिस से संपर्क किया। क्राइम ब्रांच से भी बात की, लेकिन नतीजा सिफर था। कोई उसका साथ नहीं दे रहा था।

अब यह कौन-सी स्वाति थी
स्वाति यादव ने हिम्मत नहीं हारी। इंदौर से किराए की टैक्सी कर शाजापुर गई। वहां कई जगह भटकते हुए चिलावद ब्रांच पहुंची। बैंक वालों ने कहा कि चेक का भुगतान स्वाति यादव के ही अकाउंट में हुआ है। असली स्वाति हैरान थी कि आखिर नकली स्वाति कौन है। स्वाति दो-तीन बार लगातार शाजापुर गई तो बैंक वालों ने जानकारी दी कि स्वाति मान गांव की रहने वाली है और वहीं के सरपंच रोड सिंह की साइन पर उसका अकाउंट खोला गया है। पता चला कि मान गांव में कोई यादव परिवार ही नहीं रहता। सरपंच भी अनपढ़ था और वह अंगूठा लगाता है।

तब कहीं मानी पुलिस
स्वाति ने सारे सबूत पुलिस को दिए तब भी उसकी बात नहीं मानी जा रही थी। इंदौर पुलिस पूरी तरह से पल्ला झाड़ चुकी थी। अब स्वाति ने शाजापुर पुलिस से मदद मांगी। उसे बताया कि वह इंदौर में कपिल शर्मा और मोहन दांगी के तहत काम करती है। दोनों ही उसे चेक देने वाले थे। उन्होंने ही किसी को चेक दिया और यह फ्रॉड हुआ।

जब मामला बढ़ा तो पुलिस ने फरवरी 2015 में दोनों के खिलाफ केस दर्ज किया। केस की भनक लगते ही दोनों आरोपियों ने हाई कोर्ट से जमानत करा ली। स्वाति को सेटलमेंट के लिए भी लगातार फोन आए, लेकिन उसने मना कर दिया। उसे जितना पेमेंट मिलना है, उससे ज्यादा तो वह अपनी जांच में खर्च कर चुकी है। स्वाति का कहना है कि यदि इंदौर पुलिस इसे गंभीरता से ले लेती तो केस कब का दर्ज हो चुका होता और आरोपी जेल में होते।



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