भोपाल। मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर में स्थित यह रॉयल होटल ब्रिटिशकाल में अंग्रेजों की एशगाह रही है। खास बात यह है कि भारत में होने के बावजूद भारतीयों को इस महल के आस-पास फटकने की भी इजाजत नहीं थी। यहां तक की होटल के सुरक्षा गार्ड और कर्मचारी भी ब्रिटिशर्स या यूरोपियन ही होते थे। हालांकि इस इमारत का निर्माण जरूर एक भारतीय ने ही करवाया था।
यूरोपियन शैली में बना है भवन
रॉयल होटल इंडो-वेस्टर्न के साथ-साथ यूरोपियन शैली में बना है। बताया जाता है कि इस होटल के हॉल की चकाचौंध देखकर ही लोग आश्चर्य में पड़ जाते थे। इसके साथ ही अंग्रेजों के आराम के लिए बड़े-बड़े कमरे बनाए गए थे। जिसमें एशो-आराम की सारी सुविधाएं मौजूद थीं। होटल की बनावट ऐसी थी कि कमरों में वातानुकूलित व्यवस्था जैसा अहसास होता था। अंग्रेजों की प्राइवेसी का भी यहां खास ध्यान रखा जाता था।
अब खंडहर में तब्दील हो गया होटल
स्वतंत्रता के बाद इस महल में बिजली विभाग का दफ्तर चला। कुछ समय बाद यहां एनसीसी की कन्या बटालियन का कार्यालय बनाया गया लेकिन, अब यह महल खंडहर में तब्दील हो चुका है। प्रदेश सरकार ने इसे संरक्षित इमारत घोषित किया है लेकिन इसके रखरखाव पर किसी का ध्यान नहीं है।