भोपाल। प्राइवेट स्कूलों में कॉपी किताबों के काले कारोबार के मामले में इंदौर कलेक्टर अपने अधिकारों का उपयोग करते हुए धड़ाधड़ छापामारी करवा रहे हैं परंतु भोपाल कलेक्टर ने राजधानी को भगवान भरोसे छोड़ रखा है। यहां पेरेंट्स की खुलीलूट जारी है।
पीपुल्स पब्लिक स्कूल में ऐसा ही मामला सामने आया है। इस स्कूल की किताबें सिर्फ एक ही बुक सेलर के पास मिल रही हैं। खास बात यह है कि दूसरे बुक सेलर यदि सिलेबस बेचना भी चाहें, तो उन्हें पब्लिशर किताबें नहीं दे रहे हैं।
शंकर बुक डिपो के संचालक वीरेंद्र तिवारी ने बताया कि पीपुल्स स्कूल ने हर क्लास में भोपाल के ही ट्रेशियन पब्लिशर्स की किताबें लगाई हैं। वे भी पीपुल्स स्कूल की किताबें बेच रहे हैं, लेकिन स्कूल में लगाई जा रही किताबों का साइज अलग है। इस वजह से स्कूल के पसंदीदा बुक सेलर के अलावा और कोई कॉपी-किताब नहीं बेच पा रहा है। तिवारी के मुताबिक उनकी दुकान से स्कूल के कुछ छात्र कॉपियां ले गए थे। जिन्हें साइज की न बताकर स्कूल प्रबंधन ने लौटा दिया है।
लिहाजा, दो माह पहले पब्लिशर को ऑर्डर दिया था। जब किताबें नहीं आईं तो ई-मेल के जरिए हर शर्त पूरी करने की मांग की गई, लेकिन पब्लिशर ने किताबें देने से इनकार कर दिया। इसके अलावा बुक पाइंट के संचालक एमएस खान ने भी पब्लिशर को किताबों का ऑर्डर दिया था, लेकिन उन्हें भी किताबें नहीं दी गई। तिवारी के अनुसार करोंद क्षेत्र के बुक सेलर शुक्रवार को इस संबंध में कलेक्टर से मिलेंगे और धारा 144 के उल्लंघन की शिकायत करेंगे।
इसके अलावा राजधानी के लगभग 40 बड़े स्कूलों में स्टेशनरी और यूनीफार्म का काला कारोबार जारी है। कलेक्टर के आदेश के बाद स्कूलों ने अपने परिसर से किताबें बेचना बंद कर दिया है परंतु कई स्कूलों ने पास में ही कोई दुकान किराए पर लेकर बिक्री शुरू कर दी है। कुल मिलाकर पेरेंट्स को मोनोपॉली की मार सहन करनी ही पड़ रही है।
इंदौर में प्रशासन ने स्कूलों में छापामारी शुरू कर दी है। करीब आधा दर्जन स्कूल इस छापामारी में स्टेशनरी और यूनिफार्म का काला कारोबार करते हुए पकड़े जा चुके हैं परंतु भोपाल में कलेक्टर महोदय शायद शिकायतों का इंतजार कर रहे हैं। उनका अमला इस मामले में कोई तहकीकात नहीं कर रहा है।