शिक्षा का स्तर सुधारना है तो नौकरशाही बंद करो

अब्दुल कादिर। इन दिनों प्रदेश की शिवराज सरकार पर नौकरशाही जबरदस्त हावी है। यह बात इन दो उदा, से समझी जा सकती है। पहला राज्य शिक्षा सेवा लागू करने में विलंब और दूसरा शिक्षा का निजीकरण।

पहले बात करते है राज्य शिक्षा सेवा की:
बडे जोर शोर से शुरु की राज्यशिक्षा सेवा दो वर्षों में अढाई कौस भी नही चल पायी है जबकि शुरुआती दोर में पूरे शिक्षा विभाग का सेटअप बदलने की बात कहकर सरकार ने इसे अपनी 100 दिनी कार्ययोजना मे सम्मिलित किया था। आज स्थिति यह है कि अधिकारी सरकार को नियमों के मकडजाल मे उलझाकर सरकार की इस योजना को पलीता लगा रहे है। लालफीताशाही ने बडे योजनाबद्ध तरीके से राज्य शिक्षा सेवा अंतर्गत अंतिम स्तर पर होने वाली एईओ की नियुक्ति को हाईकोर्ट के माध्यम से रोकने का प्रयास किया लेकीन हाईकोर्ट ने पूरी प्रक्रिया को वैध ठहराते हुवे शीध्र् नियुक्ति हेतु विगत 8 सितंबर2014को निर्देशित किया था। कोर्ट के डंडे से घबरा कर इन अधिकारियों ने नियुक्ति का स्वांग रचते हुवे पूरे प्रदेश में दस्तावेज सत्यापन का खेल खेला लेकिन नियुक्ति नही करते हुवे नियमों का हवाला देकर सरकार को गुमराह कर रहे है। लेकिन क्या सरकार सोई है जिसे अभी तक यह भी पता नही है की उसकी बनायी योजना अमल में आ रही है या नही। या फिर सब कुछ इन नौकरशाहो के भरोसे है। हम तो इन नौकरशाहो से जवाब हाईकोर्ट मे ले लेगे क्योंकि अवमानना का केस हमने कर दिया है।

अब बात करते है निजीकरण की
जिसका हमेशा विरोध किया आज उसी को अंगीकार कर लिया।ऐसी भी क्या परिस्थिति आ पडी की सरकार को निजीकरण से ही शिक्षा की भलाई दिख रही है। शैक्षणिक गुणवत्ता में सुधार तभी संभव है जब नित नये प्रयोग बंद हो। जिनसे गुणवत्ता में सुधार आना है उनकी कोई सुनता नही डीपीआई और मंत्रालय के वातानुकूलित कक्षो में योजना बनाने से कुछ नही होगा। सरकार से निवेदन है की नौकरशाही की निर्भरता से अपनेआप को मुक्त करे।

जय हिंद
अब्दुल कादिर

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