केजरीवाल बना सकते हैं नई पार्टी

नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी में वर्चस्व की लड़ाई चरम पर पहुंच चुकी है, लेकिन हार-जीत का फैसला अभी बाकी है। पार्टी ने योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को भले ही पीएसी से निकाल दिया हो, राष्ट्रीय कार्यकारिणी से भी इस्तीफा देने को मजबूर किया हो और उन्हें पार्टी से निकालने की भी तैयारी चल रही हो, लेकिन दोनों इस दौरान पार्टी का असली चेहरा उजागर करने में कामयाब जरूर हो गए हैं।

सूत्रों ने बताया कि केजरीवाल ने इस कलह के चलते दिल्ली में अपनी एक अलग पार्टी बना लेने की मंशा तक जाहिर कर दी थी। पार्टी सूत्रों का कहना है कि प्रशांत और योगेंद्र के साथ केजरीवाल के मतभेद इस कदर गहरा गए थे कि वह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बात तो दूर, आंतरिक लोकपाल एडमिरल रामदास तक की बात मानने को तैयार नहीं थे।

बुधवार देर शाम जब केजरीवाल को मनाने और समझाने रामदास उनके सरकारी आवास गए, तो केजरी ने उनसे साफ कह दिया कि अगर योगेंद्र-प्रशांत ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इस्तीफा नहीं दिया, तो वह दिल्ली में अपनी एक अलग छोटी पार्टी बना लेंगे, लेकिन इन दोनों के साथ अब किसी भी सूरत में मिलकर काम नहीं करेंगे।

राष्ट्रीय संयोजक पद
राष्ट्रीय संयोजक पद पर बने रहने के लिए भी केजरीवाल ने पहले से ही तगड़ी लॉबिंग कर रखी है। ऐसे में अगर शनिवार की मीटिंग में वोटिंग होती भी है, तो इस बात की संभावना बेहद कम है कि वह पद से हटेंगे। पार्टी के नेता कुछ नेता भले ही यह दावा कर रहे हों कि योगेंद्र और प्रशांत की मांगें मानने के लिए वह खुद पीएसी और राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं, लेकिन सच तो यह है कि पार्टी में पद कोई नहीं छोड़ना चाहता।

अगर ऐसा होता तो पार्टी नेता पहले ही प्रो आनंद कुमार के सुझाव को मानते हुए पीएसी समेत सभी पदों से इस्तीफा दे देते और अब तक पीएसी और राष्ट्रीय कार्यकारिणी को नए सिरे से गठन हो चुका होता।

प्रशांत भूषण और याेगेंद्र यादव ने रात को अरविंद केजरीवाल के नाम एक खुला पत्र लिखकर दावा किया है कि हमने खुद बातचीत के लिए लिखित नोट में अपने इस्तीफे की पेशकश की थी। नोट में इन बातों का भी जिक्र है-

1- बशर्ते पंचायत और निकाय चुनाव में भागीदारी का अंतिम फैसला राज्य इकाई के हाथ में देने की घोषणा हो।
2- हाल में पार्टी से जुड़े चारों बड़े आरोपों की जांच पार्टी के राष्ट्रीय लोकपाल को सौंपी जाए।
3- पार्टी के राष्ट्रीय लोकपाल की राय से सभी राज्यों में लोकायुक्त की नियुक्ति की जाए।
4- नीति, कार्यक्रम और चुनाव के हर बड़े फैसले पर कार्यकर्ताओं की राय ली जाए और जरूरत पड़ने पर वोटिंग कराई जाए।
5-सीआईसी के आदेश का पालन करते हुए पार्टी आरटीआई के दायरे में आने की घोषणा करे और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के रिक्त पदों को संविधान के अनुसार राष्ट्रीय परिषद द्वारा गुप्त मतदान के जरिये भरा जाए।

प्रशांत भूषण का कहना है कि पार्टी को लिखित रूप में यह साफ करना चाहिए कि उन्होंने इनमें से कितनी मांगें मानी हैं। दोनों नेताओं ने यह भी साफ किया है कि 26 फरवरी और 4 मार्च को हुई दोनों मीटिंगों में उन्होंने अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे को नामंजूर करने के पक्ष में वोट दिया था।

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