पढ़िए कांग्रेस के 'घर घर चलो अभियान' में कहां क्या हुआ

भोपाल। प्रदेश में लगातार तीन वर्षाें से हो रही बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और तुषार पाले के प्रकोप से बर्बाद हो चुके किसानों को लेकर केंद्र-राज्य सरकार द्वारा उन्हें कोई सतही राहत नहीं दिये जाने के खिलाफ प्रदेश कांग्रेस द्वारा गत् 23 मार्च से 30 मार्च तक जारी गांव-गांव चलो, घर-घर चलो अभियान का समापन करते हुए आज गाडरवारा और बनखेड़ी में आयोजित विभिन्न सभाओं में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरूण यादव केंद्र-राज्य सरकार और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के खिलाफ जमकर गरजे। उन्होंने केंद्र-राज्य सरकार को किसान विरोधी बताते हुए न केवल इनके खिलाफ कांग्रेस के जमीनी संघर्ष का आव्हान किया, बल्कि प्रदेश के बर्बाद किसानों को मिलने वाले वास्तविक मुआवजे और सरकार की दोमुंही नीति को लेकर मुख्यमंत्री को इस विषयक खुली बहस की चुनौती भी दी है।


यादव ने अपने विभिन्न संबोधनों में किसानों और फसलों की तबाही को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथसिंह और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के दौरों को महज ओला पर्यटन की संज्ञा देते हुए कहा कि एक ओर जहां गृह मंत्री ने किसानों की पीड़ा को लेकर अपनी जुबां तक नहीं खोली वहीं मुख्यमंत्री मात्र भाषणों और घोषणाओं से ही किसानों के आंसू पौंछ रहे हैं।

मुख्यमंत्री किसानों को एक-एक दाने का मुआवजा देने और पीड़ित किसानों की पूरी फसल खरीदने की बात कह रहे हैं, किंतु स्थितियां बिल्कुल विपरीत हैं। किसानों को मुआवजा मिलना तो दूर अभी तक बर्बाद फसलों का सर्वे भी शुरू नहीं हो पाया है, वहीं किसानों की फसल अमानक करार देते हुए अधिकारियों द्वारा मंडी से लौटायी जा रही है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने आव्हान किया है कि पूरे प्रदेश के बर्बाद किसानों के साथ कांग्रेस का हाथ था, है और रहेगा। पार्टी किसानों के हितों में अपना जमीनी संघर्ष किसानों के साथ पूर्ववत जारी रखेगी। एक सप्ताह से जारी इस अभियान के समापन कार्यक्रम में कांग्रेस के प्रभारी महासचिव मोहन प्रकाश एवं नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे ने लहार, भिण्ड और पूर्व नेता प्रतिपक्ष व विधायक अजयसिंह ने रीवा एवं सतना जिलों में हिस्सा लिया।

प्रभारी महासचिव मोहन प्रकाश ने लहार (भिंड) में एक बड़ी किसान रैली को संबोधित करते हुए कहा कि जब से केंद्र में नरेन्द्र मोदी एवं राज्य में भाजपा सरकार काबिज हुई है, इन दोनों ही सरकारों ने किसानों और गरीबों को लेकर संवेदनहीनता दिखाई है। चाहे भूमि अधिग्रहण कानून, मनरेगा, खाद्य सुरक्षा अधिनियम या गरीबों-किसानों से संबंधित कोई अन्य महत्वपूर्ण योजनाएं हों, इन्होंने राजनैतिक बदले की भावना से किसानों और गरीबों की चिंता किये बगैर उन्हें या तो बदल डाला है या कमजोर कर दिया है या खत्म करने की योजना बनायी है। ये सरकारें घोषणाएं और बातें तो मध्यमवर्गीय, गरीबों और किसानों के हित की करतीं हैं, किंतु झोली उद्योगतियों, सरमायेदारों, अडानियों और अंबानियों की भर रही है। इन दोनों ही सरकारों के द्वारा प्रदेश में ओला पीड़ित बर्बाद किसानों की मदद कैसे होगी, उन्हें मुआवजा कैसे और कितना मिलेगा उस पर सिवाय भाषणों के पूरी तरह चुप्पी साध रखी है।

श्री प्रकाश ने किसानों को संबोधित करते हुए राज्य सरकार पर भी तीखा हमला किया और कहा कि केंद्र, राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद से लेकर आज तक किसानों को खाद और बीज वाजिब दामों पर क्यों नहीं मिल पाया, यदि मिला तो वह नकली क्यों निकलता है, अधिक राशि देने के बाद ब्लैक में इसकी उपलब्धता कैसे हो जाती है और पूरे प्रदेश में खाद और बीज की अधिकृत एजेंसी का मालिक कौन है?

उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश की सरकारें पूंजीपतियों की गोद में खेलते हुए गरीबों और किसानों का शोषण कर रही हैं। इसे लेकर कांगे्रस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी राष्ट्रव्यापी दौरे कर किसानों और गरीबों से रूबरू हो रही हैं। 02 अप्रैल को श्रीमती गांधी का मध्यप्रदेश में हो रहा दौरा भी इसी श्रृंखला की एक कड़ी है।

पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में हुईं इन सभी रैलियों एवं सम्मेलनों में बड़ी संख्या में स्थानीय नेता, विधायक और पार्टी पदाधिकारी उपस्थित थे।

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