मप्र में फिर बुलाना पड़ेगी विधानसभा, मजबूरी में फंसी सरकार

भोपाल। व्यापमं के हंगामे से बचने के लिए शिवराज सरकार विधानसभा से तो भाग निकली लेकिन एक बड़ी गलती हो गई। उसकी भरपाई के लिए फिर से विधानसभा बुलाना पड़ेगी। यह सत्र मार्च में बुलाया जा सकता है।

दरअसल राज्य सरकार के पास 31 मार्च तक खर्च चलाने के लिए पैसा नहीं है। ऐसी स्थिति में सरकार विधानसभा का सत्र फिर से बुलाएगी। इस सत्र में वर्ष 2014-15 के जरूरी कामों के खर्च के लिए लगभग 1800 करोड़ का अनुपूरक बजट विशेष सत्र में पेश किया जाएगा। यह सत्र 15 मार्च के बाद कभी भी बुलाया जा सकता है।

वर्ष 2015-16 का बजट पास होने के बाद राज्य सरकार के पास एक अप्रैल 2015 से खर्च करने के लिए पैसा तो हो गया, लेकिन 31 मार्च तक पीडब्ल्यूडी, ऊर्जा, सिंचाई, कृषि और पंचायत जैसे विभागों के पास 31 मार्च तक भुगतान करने के लिए पैसा नहीं है। संभावना जताई जा रही है कि 3 या 4 मार्च को कैबिनेट की बैठक में द्वितीय अनुपूरक बजट का अनुमोदन किया जा सकता है।

विभागों को जरूरी खर्चों के लिए द्वितीय अनुपूरक बजट लाना अनिवार्य है। मुख्यमंत्री से चर्चा कर 15 मार्च के बाद सत्र कभी भी बुलाया जा सकता है।
जयंत मलैया, वित्त मंत्री

यदि सरकार को जरूरी काम के लिए 31 मार्च तक पैसों की जरूरत है, तो द्वितीय अनुपूरक बजट के लिए अलग से सत्र बुलाना होगा। वैसे सत्र बुलाने का अधिकार सरकार का होता है, इसमें विधानसभा की कोई भूमिका नहीं है। सत्र कब बुलाना है इसका निर्णय सरकार को लेना है।
भगवानदेव इसरानी, प्रमुख सचिव विधानसभा

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