राकेश दुबे@प्रतिदिन। और जब योजना आयोग खत्म किया जा चुका है, 14वें वित्त आयोग ने एक नया फार्मूला दिया है। इस फार्मूले ने केंद्र-राज्य वित्तीय संबंधों के लिए एक नया सांचा तैयार किया है। इस समय केंद्र और राज्य, दोनों एसजीएसटी (सिंगल गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स) लागू करने की तरफ बढ़ रहे हैं। एसजीएसटी का यह कदम पहली बार पूरे देश को आर्थिक रूप से एक कर देगा।
11 वें वित्त आयोग ने ‘डिविजिबल पूल’ से राज्यों के लिए 29.5 अंश के हस्तांतरण की सिफारिश की थी। वहीं 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘हमने कर राजस्व के हस्तांतरण के उद्देश्य से राज्यों को श्रेणियों में नहीं बांटा है। हमने प्रोत्साहनों व शर्तों के इस्तेमाल को न्यूनतम किया है और खुले हस्तांतरण का दायरा बढ़ाया है। यह बताता है कि शासन के सभी स्तरों में हम विश्वास रखते हैं।’ कर-राजस्व में राज्यों की हिस्सेदारी में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी इससे पहले किसी वित्त आयोग ने नहीं की थी। चूंकि अब राज्य अपने व्यय का खाका तैयार करने में अधिक स्वतंत्र हैं, ऐसे में काबिल राज्य अपने संसाधनों के बेहतर प्रबंधन में भी सक्षम होंगे।
परिणामस्वरूप, अब राष्ट्रीय कार्यक्रमों में भी कटौती होगी। केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं के संदर्भ में अक्सर यह सुनने को मिलता रहा है कि राज्यों के पास सीमित संसाधन हैं। केंद्र की वित्तीय ताकत में बड़ी कटौती को देखते हुए यह स्वाभाविक है केंद्र प्रायोजित योजनाओं की फंडिंग भी कुछ हद तक राज्यों को हस्तांतरित की जाएगी। वित्त मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा भी है कि वह इस तरह की आठ योजनाओं पर विचार कर रहा है। १४ वें वित्त आयोग की रिपोर्ट के संसद में पेश किए जाने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों के मुख्यमंत्रियों के नाम एक खत लिखा था। इस पत्र में उन्होंने भारत की नई संघीय नीति का खाका खींचा था। उन्होंने लिखा था, ‘यह सहयोगी संघवाद के मेरे वादे को पूरा करने की दिशा में बढ़ा कदम है। हमने राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को तय करने की पहल में राज्यों को शामिल करने का निश्चय किया है। और ऐसा इसलिए किया जा रहा है, ताकि केंद्र या राज्य द्वारा खर्च किए जा रहे एक-एक रुपये से ज्यादा से ज्यादा फल प्राप्त किया जा सके।’ टीम इंडिया की भावना के तहत ही तमाम राज्यों के मुख्यमंत्रियों को नीति आयोग का समान हैसियत वाला सदस्य बनाया गया है, जो अब योजना आयोग की जगह है।
लेखक श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।
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rakeshdubeyrsa@gmail.com
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