शिक्षकों को पांचवें वेतनमान का बकाया भी देगी सरकार: सुप्रीम कोर्ट

इंदौर। मप्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट में तगड़ा झटका लगा है। सरकार को प्रदेशभर के अनुदान प्राप्त कॉलेजों और स्कूलों के शिक्षकों को छठे वेतनमान का लाभ तो देना ही होगा, साथ ही पांचवें वेतनमान की पूरी बकाया राशि भी देना होगी।

मप्र अशासकीय अनुदान प्राप्त महाविद्यालय प्राध्यापक संघ और प्रदेश सरकार के बीच इस मुद्दे को लेकर पिछले 16 साल से लड़ाई चल रही थी। 1998 में दिग्विजय सरकार ने अशासकीय अनुदान प्राप्त कॉलेजों व स्कूलों के शिक्षकों को अनुदान देना बंद कर दिया था। 2000 में हाईकोर्ट का फैसला प्राध्यापक संघ के पक्ष में गया था। सरकार सुप्रीम कोर्ट गई, लेकिन कोर्ट ने स्टे देते हुए निर्देश दिए थे कि प्राध्यापकों को 50 प्रतिशत राशि सरकार दे और 50 प्रतिशत स्कूल-कॉलेज प्रबंधन। तब से केस चलता रहा। 7 जनवरी 2014 को सुप्रीम कोर्ट में प्राध्यापक संघ के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सौ फीसदी वेतनमान के लाभ का निर्णय दिया।

इसके बाद सरकार पांचवें वेतनमान का लाभ तो देने लगी लेकिन छठे का नहीं दिया। संघ ने सरकार के खिलाफ अवमानना याचिका लगाई थी। 15 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा सरकार को निर्देश देते हुए छठे वेतनमान का पूरा लाभ देने का आदेश जारी किया। सरकार की तरफ से अभिभाषक अभिषेक मनु संघवी ने पैरवी की, वहीं प्राध्यापक संघ की ओर से शांतिभूषण व राजीव धवन ने। मप्र प्राचार्य मंच के अध्यक्ष डॉ. डीपी मिश्रा व सचिव डॉ. मंगल मिश्र ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया है।

तीन हजार से ज्यादा को लाभ
इस फैसले से प्रदेश के तीन हजार से ज्यादा व शहर के 500 से ज्यादा स्कूल-कॉलेजों के शिक्षकों को लाभ मिलेगा। सरकार को छठे वेतनमान का लाभ तो देना ही है, साथ ही पांचवें वेतनमान की बकाया राशि अक्टूबर 2019 में शिक्षकों को एकमुश्त देना होगी। छठे वेतनमान का पैसा इसी साल से प्रतिवर्ष एक-एक किस्त के रूप में देना होगा।

ऐसे चली लड़ाई
- 1998 में दिग्विजय सरकार ने अनुदान न देने का फैसला किया।
- 2000 में प्राध्यापक संघ हाई कोर्ट गया जहां जीत मिली।
- 2002 में सरकार सुप्रीम कोर्ट गई।
- सुप्रीम कोर्ट ने स्टे देते हुए, 50-50 प्रतिशत राशि सरकार व प्रबंधन को देने के लिए कहा।
- 2014 में प्राध्यापक संघ के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया।
- सरकार ने छठे वेतनमान का लाभ नहीं दिया। संघ ने अवमानना याचिका लगाई। 15 जनवरी 2015 को फिर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को सख्त निर्देश देते हुए लाभ देने के निर्देश दिए।

कॉलेज-स्कूलों की स्थिति
- प्रदेश में 75 अशासकीय अनुदान प्राप्त कॉलेज।
- प्रदेश में 4 हजार से ज्यादा स्कूल।
- शहर में 10 अशासकीय अनुदान प्राप्त कॉलेज।

देना होगा लाभ
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल ही हमारे पक्ष में फैसला सुना दिया था। सरकार ने पालन नहीं किया इसलिए हमने अवमानना याचिका लगाई थी। इसमें भी हमें जीत मिली है। सरकार को छठे वेतनमान के साथ पांचवें वेतनमान का पूरा लाभ शिक्षकों व प्राध्यापकों को देना होगा। -डॉ. विपुल पटेल, संगठन मंत्री, मप्र अशासकीय अनुदान प्राप्त महाविद्यालय प्राध्यापक संघ

प्राध्यापकों व शिक्षकों को वेतनमान का पूरा लाभ दिया जाएगा। हालांकि अभी मैंने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की कॉपी देखी नहीं है, लेकिन ऐसी जानकारी मिली है कि कोर्ट ने इन्हें लाभ देने का फैसला सुनाया है।
नरेंद्र धाकड़, अतिरिक्त संचालक, उच्च शिक्षा

इनकी स्थिति स्पष्ट नहीं
सरकार ने पहले शपथ-पत्र में लिखा था कि रिटायर होने वाले शिक्षकों-प्राध्यापकों को तीन किस्त व जिनकी मृत्यु हो चुकी है, उन्हें एक किस्त में 1 अप्रैल 2014 से लाभ दिया जाएगा लेकिन अभी दिया नहीं किया गया। इन्हें लाभ कैसे मिलेगा, अभी ये स्पष्ट नहीं हो सका है।


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