दूध डेयरी पर मिलतीं थीं शिक्षा और वनविभाग में नौकरियां

भोपाल। मध्यप्रदेश में रोजगार बड़ा ही सुलभ हो गया था। मंदसौर में तो दूध वाले के यहां वन विभाग और शिक्षा विभाग की नौकरियां भी मिलतीं थीं। व्यापमं घोटाले के बाद मामला थोड़ा गडबड़ हो गया और इसी के चलते दूधवाले के खिलाफ पीड़ितों ने एफआईआर दर्ज करवा दी।

यह मामला ठगी का नहीं है, मध्यप्रदेश में खुले घूम रहे नौकरी माफिया के ऐजेंट का खुलासा है। नौकरी माफिया का नेटवर्क मध्यप्रदेश के कौने कौने में और कहां कहां तक फैला हुआ है यह मामला उसकी एक बानगी मात्र है।

पुलिस ने आरोपी दूध डेयरी संचालक और उसके बेटे के खिलाफ मामला दर्ज किया है। 25 मार्च को गरोठ तहसील के ग्राम लसुडिय़ा के उदयराम पिता किशनलाल मीणा, ओमप्रकाश पिता शंकरलाल मीणा, शामगढ़ तहसील के टकरावद के भगतराम पिता मगनलाल मीणा से सवा-सवा लाख रुपए एवं शामगढ़ निवासी रोहित पिता करणसिंह मीणा ने शिकायत दर्ज कराई कि मंदसौर बालागंज में दूध डेयरी संचालित करने वाले रमेशचंद्र जोशी एवं उसके पुत्र निशिकांत जोशी ने 4.75 लाख रुपए नौकरी दिलाने के नाम पर लिए। शिकायत के आधार पर पुलिस ने जांच शुरू की इसमें ठगी के शिकार कुछ और युवा सामने आए। इनमें टकरावद निवासी नागूसिंह, ईश्वरलाल पिता उदयलाल मीणा से फॉरेस्ट विभाग में नौकरी लगवाने के लिए 1.30 हजार तथा कालूसिंह पिता लक्ष्मणसिंह मीणा से 60 हजार रुपए लिए थे। एएसआई समरथ सिनम ने बताया अब तक की जांच में पिता पुत्र द्वारा क्षेत्र के 10 युवाओं के साथ धोखाधड़ी का मामले सामने आया। फिलहाल किसी भी युवा ने नई शिकायत नहीं की। पूर्व में मिली शिकायत के आधार पर पिता पुत्र के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है। जल्द दोनों को गिरफ्तार करेंगे।

सवाल यह उठता है एक व्यापारी जो स्थाई व्यापार कर रहा हो, वो इस तरह की ठगी जैसे काम तो कतई नहीं करेगा। दूध में मिलावट कर सकता है परंतु दूध डेयरी से नौकरी बांटने का धंधा नहीं कर सकता। निश्चित रूप से इसके पीछे किसी माफिया का हाथ है। यदि ईमानदारी से परतें खोली जाएं तो इसी दूधवाले के मामले में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

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