श्याम चौरसिया/माचलपुर। माचलपुर जैसे शांत, सदभाव प्रेमी कस्बे में हुडदंग मचवाने एंव हंगामा करवाने वाले हत्या के आरोपी असलम को पुलिस ने राजस्थान के झालावाड जिले धाटोली से दबोच लिया. उसे तीन दिन के रिमांड पर लेकर पूछताछ जारी कर दी है.
तेजी से शांत,सामान्य होते जा रहे मिजाज का एक्सरे करने के एंव भोपाल कमिश्नर, आईजी के लौटने के बाद प्रशासन ने धारा 144 हटा ली. हंगामारत लोगों का जोश भी ठंडा पड गया. हालांकि पुलिस ने शांतिभंग करने एंव सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचाने के आरोप में करीब 48 लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है. जिनमें से 04 से ज्यादा गिरफ्तार कर लिए गए. गिरफ्तारी से बचने के लिए आरोपी इधर-उधर हो गए.
कहा ये जा रहा है कि पुलिस के दबाब से घबराकर आरोपी ने खुद थाने में समपर्ण किया. समपर्ण कराने के लिए एक बडे नेता की भूमिका चर्चा में है. कहा ये भी जा रहा है कि यदि चुनावकाल न होता तो आरोपी इतनी जल्दी हथियार नहीं डालता.
आरोपी पर बद्रीलाल लौधा को गोली से भून देने का संगीन आरोप है. हत्यांकाड के बाद माचलपुर कस्बा पूरी तरह से अशांत हो गया था. उत्तेजितों ने काफी पथराव, आगजनी की. आरोपी ने बकरियां चराते बद्रीलाल लौधा को भुना था. आचार संहिता के चलते सभी अमनप्रेमियों ने अपनें लायसेंसी हथियार थाने में जमा करवा दिये थे. फिर असलम के पास ये हथियार कहां से आया. जाहिर है वह लायसेंसी नहीं रहा होगा. यदि अवैध था तो पुलिस को इसकी भनक लगी क्यों नहीं. यदि भनक थी तो आरोपी के खिलाफ अवैध हथियार रखने का प्रकरण दर्ज करने से पुलिस क्यों कतराती रही. जबकि मृतक और उसका परिवार आधा दर्जन से ज्यादा रिर्पोट दर्ज करवा चुका था. यदि पुलिस रिर्पोटों की अनदेखी करने की बजाय अमल कर लेती तो बद्रीलाल का परिवार अनाथ होने से बच जाता. संरक्षण पाकर आरोपी दंबग नहीं होता.
आरोपी की गिनती आंचलिक वीरप्पन के रूप में होती है. उसके लंबे हाथ माने जाते है. अनेक राजनेताओं से उसके मधुर रिश्ते भी खासी चर्चा में है. चुनावी काल होने की वजह से उन रिश्तों का लाभ आरोपी को न मिलना बताया जारहा है.
चर्चा ये भी है कि आईजी ने मृतक और उसके परिवार द्धारा की गयी विभिन्न रिर्पोटों को लेकर स्थानीय पुलिस की अनदेखी और आरोपी पर मेहरबान बने रहने की भूमिका की भी जांच कराने के फेसले से पूर्व में पदस्थ रहे पुलिस अधिकारियों की सांसे अटका दी है. यदि जांच निष्पक्ष और पारदर्शिता पूर्ण हो गयी तो इसकी आंच में कम से कम 15 पुलिस अधिकारी झुलुस सकते है.
आरोपी को कडी सजा की पैरवी करने एंव मृतक परिवार को ढांढस बंधाने के लिए अनेक जनप्रतिनिधि मिले. जनप्रतिनिधियों ने मृतक की मां से धटना और उसके पहले आरोपी द्धारा अंजाम दी गयी विभिन्न हरकतों का ब्योरा लिया. महसूस किया कि यदि पुलिस महरबानी नहीं दिखाती तो आरोपी दंबग नहीं होता. चूक अनेक धाव दे गयी.