भोपाल। आदिवासी विकास विभाग में कार्यरत 750 अधीक्षकों को पिछले 5 सालों से लावारिस छोड़ रखा है। सरकार उनसे 24 घंटे काम लेती है, पगार उनके समकक्ष सभी पदों की बढ़ाती है परंतु उन्हें हमेशा भूल जाती है।
संविदा अधीक्षकों ने अपना यह दर्द एक ईमेल में बयां किया है। पढ़िए क्या कुछ लिखा है इसमें:—
महोदय, संविदा छात्रावास अधीक्षक पद पर मध्यप्रदेश के 22 जिलों में आदिवासी विकास विभाग द्वारा लगभग 750 बेरोजगारों की भर्ती विभागीय परीक्षा एंव साक्षात्कार के माध्यम से सन 2008 में की गर्इ थी।
गजट में वर्णित शर्तों के आधार पर संविदा छात्रावास अधीक्षक को 05 वर्ष के लिये अनुबनिधत किया गया था।
संविदा शिक्षक वर्ग -2 के समान शैक्षणिक योग्यता वाले अभ्यर्थियों से शासन ने दोहरी परीक्षा (लिखत एवं साक्षात्कार) के बाद वर्ग - 2 के 03 साल की संविदा अवधि से 02 वर्ष अधिक की अवधि तक 24 घण्टें का अत्यंत जवाबदेही वाला कार्य संविदा अधीक्षकों से कराया।
संविदा शिक्षकों से भिन्न अधीक्षकों के दायित्व प्रबंधन, स्वास्थ्य, शिक्षा, नैतिक चरित्र एवं अन्य विभागों से सामंजस्य कर अपनी संस्था के उत्कर्ष हेतु सतत क्रियाशील रहना। मुख्यालय निवास एवं अत्यंत अल्प वेतन ने अधीक्षकों की तपस्या को और भी अधिक कष्टप्रद किया। कठोर परिश्रम ने उज्जवल भविष्य की आषाओं को और अधिक बल दिया। संविदा शिक्षक से अधिक जिम्मेदारियों ने भविष्य में संविदा शिक्षकों से अधिक लाभ का सपना दिखाया।
अधीक्षकों को पहला आघात जून 2011 में संविदा शिक्षकों की 1000- रूपये की वेतनवृद्धि के समय लगा, उक्त वृद्धि प्रत्येक संविदा शिक्षक हेतु की गयी थी, जो संविदा अवधि के किसी भी साल में कार्यरत था किन्तु संविदा अधीक्षक को इस वृद्धि से वंचित रखा गया। तदुपरांत 01 नंवंबर 2011 से समस्त संविदा शिक्षकों को दी गर्इ दुगुनी वेतन वृद्धि ने अधीक्षकों को विभाग के सौतेलेपन का अहसास हुआ।
कार्यालय आयुक्त अजा विकास, मप्र राजीव गांधी भवन, श्यामला हिल्स भोपाल अपरसंचालक अजा विकास मप्र के पत्र क्रमांक के पृ.क्रमांक सूप्रौवीसी 251488 भोपाल दिनांक 3.6.13 स्थापना के माध्यम से बिन्दू क्रमांक 1. माननीय अध्यक्ष के द्वारा प्रत्येक छात्रावासआश्रम में पूर्ण कालिक अधीक्षक के पद को निर्मित करने के निर्देश दिये गये। बिन्दुओ को विचार करने का पत्र भी अधीक्षकेा के लिए राहत देता रहा।
हार न मानते हुए अधीक्षकों ने आवेदन, निवेदन एवं ज्ञापन के माध्यम से अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों एवं विभागीय पूर्व मत्री विजयशाह जी व मुख्यमंत्री जी तक को अपने साथ हुए इस दोयम दर्जे के व्यवहार से अवगत कराया किन्तु आश्वासनों का अबाध सिलसिला 2013 तक जारी रहा।
अगस्त 2013 में मध्यप्रदेश शासन ने संविदा अवधि समापित के मात्र एक माह पहले अस्पष्ट, अतार्किक व अधूरा सा आदेश जारी करके अपने कर्तव्यों की इति श्री कर ली। इस आदेश में किसे, कब से व कितना लाभ दिया जाना है वह विभागीय मुख्यालय से लगाकर, अधीक्षक मुख्यालय तक कोर्इ भी तय कर पाने की सिथति में नही था। विभिन प्रशासनीक विभागीय अधीकारी एवं शाखा प्रभारी अपने विवेक अनुसार पत्र की व्याख्या करते रहे है।
उक्त आदेश की व्याख्या से बचने के लिये प्रत्येक स्तर तक तटस्थता दर्शाते हुए, विभिन्न अधिकारियों ने पत्र को संलग्न कर उक्तानुसार कार्यवाही करने हेतु अधीनस्थ कार्यालयों को पत्र लिखकर अपना पल्ला झाड़ लिया।
इस सम्बन्ध में अधीक्षकों के प्रयास करने पर उन्हें जिला स्तर से लेकर मंत्रालय स्तर तक भी स्पष्ट आदेष अभाव में मात्र 3500- की मानदेय वृद्धि जो कि 05 साल की संविदा अवधि पूर्ण करने के पश्चात की जा रही है। अत: हम आपसे यह निवेदन करते है कि हमारी अंतिम उम्मीद आप विभागीय अव्यवस्था एवं अनिश्चितता के अंधकार से हमें उबारने का कष्ट करेंगे।
अन्य जानकारी के लिए संपर्क हेतु
हरीष जाधव
संविदा अधीक्षक सेंधवा
9755863662
मनीष डोंगरे
संविदा अधीक्षक संघ म0प्र0 उपाध्यक्ष
9753240567