कर्मचारी की मृत्यु के बाद नहीं लगाने होंगे पीएफ आफिस के चक्कर

इंदौर। अगर किसी व्यक्ति की दुर्घटना या सामान्य मौत होती है और वह प्रॉविडेंट फंड का मेंबर है तो उसके परिजनों को पीएफ ऑफिस के महीनों चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है, बल्कि खुद पीएफ ऑफिस अब ऐसे प्रकरणों को तलाश कर उसे पीएफ के सारे लाभ दिलाने की कवायद कर रहा है।

प्रॉविडेंट फंड मध्यप्रदेश के कमिश्नर अजय मेहरा ने डिपार्टमेंट में एक नया विंग बनाया है। यह विंग प्रॉविडेंट फंड का लाभ तुरंत दिलाने का कार्य कर रहा है। इसमें एक अधिकारी और दो अन्य कर्मचारी रखे गए हैं। ये विंग समाचार-पत्रों व अन्य स्थानों से जानकारी एकत्र करते हैं। इसमें छपी दुर्घटना या सामान्य मृत्यु की खबर के बाद व्यक्ति को लाभ दिलाने का प्रयास कर रहे हैं। उनका कहना है कि व्यक्ति को उसका हक और लाभ तुरंत मिलना चाहिए।

मिल सकेगा तुरंत लाभ : प्रॉविडेंट फंड डिपार्टमेंट ने पीएफ सदस्य की मृत्यु की स्थिति में मिलने वाले बीमा, पीएफ की राशि और पेंशन जैसे लाभ तुरंत देने के लिए नया एक्शन प्लान बनाकर काम शुरू किया है। पीएफ ऑफिस में इसके लिए बनाए गए विंग द्वारा सारी जानकारियां एकत्र कर फिर कागजी खानापूर्ति चंद घंटों में ही पूरी की जा रही है। इससे पीएफ ऑफिस में महीनों चक्कर लगाने की पुरानी प्रक्रिया से छुटकारा मिलने की आशा जागी है।

डाटा से जानकारी सर्च : व्यक्ति की मृत्यु के बाद वह यह देखते हैं कि उक्त व्यक्ति किस संस्थान या ऑफिस में नौकरी कर रहा था। उस व्यक्ति के नाम को पीएफ ऑफिस में मौजूद डाटा से तुरंत मिलान किया जाता है। व्यक्ति अगर पीएफ में रजिस्टर्ड है तो उसको दिए जाने वाले लाभ के लिए तमाम प्रक्रियाएं आरंभ कर दी जाती हैं। इसमें व्यक्ति के परिजन या ऑफिस द्वारा की जाने वाली कार्रवाई का इंतजार नहीं किया जा रहा है।

घर जाकर पूरी करते प्रक्रियाएं : इस योजना के माध्यम से कई लोगों को तुरंत भुगतान संभव हो पाया है। यहां तक कि विंग के कर्मचारी श्मशान स्थल या नगर निगम जाकर मृत्यु प्रमाण-पत्र भी खुद हासिल कर रहे हैं। तमाम कागजी खानापूर्ति करने के बाद वह संबंधित के घर जाकर इसकी जानकारी दे रहे हैं, साथ ही संबंधित संस्थान को भी अंतिम रूप से भेजी जाने वाली जानकारी तुरंत भेजने के लिए कह रहे हैं। कई मामलों में अगर उसकी विधवा या नॉमिनी का बैंक में अकाउंट नहीं है तो यह विंग उसका अकाउंट भी खुलवाने तक का काम कर रही है ताकि उसका रुपया ट्रांसफर हो सके।

बाहर तक भेजी जानकारी : पिछले दिनों एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में कार्य करने वाले कर्मचारी की दुर्घटना मृत्यु हो गई थी। प्रॉविडेंट फंड की इस विंग ने उसके मृत्यु प्रमाण-पत्र से लेकर उससे जुड़ी अन्य सभी जानकारी एकत्रित की। अंत में यह मालूम हुआ कि उसका अकाउंट निजामाबाद स्थित पीएफ ऑफिस में था। पूरी कार्रवाई करने के बाद सारी जानकारियां उक्त ऑफिस में भेज दी गई ताकि उसका क्लेम तुरंत मिल सके।

किनके लिए जरूरी : 20 या अधिक सदस्यों वाली कंपनियों, संस्थानों या डिपार्टमेंट को प्रॉविडेंट फंड लागू करना होती है। इनमें पेंशन देने वाले विभाग के और संविदा कर्मचारी शामिल होते हैं। इन्हें रिटायरमेंट पर एकमुश्त रकम के साथ ही निश्चित अवधि पूर्ण होने की दशा में पेंशन मिलती है। दुर्घटना होने या मृत्यु होने की स्थिति में भी कर्मचारी के परिवार को पूरा लाभ और पेंशन की सुविधा दी जाती है।

संकट की घड़ी में साथ : पीएफ कमिश्नर के अनुसार यहां पर जमा रुपया वास्तव में कर्मचारी का ही होता है। अगर यह रुपया उसे संकट की घड़ी में तुरंत नहीं मिलता है तो उसके लिए इससे बड़ी अविश्वास की बात क्या होगी। पीएफ ऑफिस ने इसी कारण यह योजना शुरू की है ताकि ऐसे प्रकरणों में किसी प्रकार की कोई देरी नहीं हो। कमिश्नर अजय मेहरा पूर्व में जबलपुर में रहते हुए ऐसी योजना लागू कर चुके हैं।

क्या है प्रक्रिया
- दुर्घटना या मृत्यु होने के बाद पीएफ ऑफिस में सूचना देना होती है।
- नॉमिनी द्वारा फार्म 20 में संबंधित संस्थान में आवेदन देना होती है।
- संस्थान द्वारा इससे संबंधित फार्म समस्त जानकारियों के साथ प्रॉविडेंट फंड ऑफिस को फॉरवर्ड किया जाता है।
- जांच के बाद धारक को लाभ प्रदान करने की कार्रवाई की जाती है।

क्या लाभ मिलते हैं
- ईडीएलआई - एम्पलाई डिपॉजिट लिंक्ड स्कीम। दुर्घटना की स्थिति में इस स्कीम में पीएफ सदस्य को एक अवधि तक काम करने के बाद एक निश्चित राशि (करीब एक लाख रुपए) मिलती है।
- पीएफ की जमा रकम ब्याज सहित वापस मिलती है.

लाभ समय पर मिले : प्रॉविडेंट फंड कर्मचारियों के हित में कार्य कर रहा है। यहां पर जमा रुपया उसका ही है तो फिर क्यों नहीं उसे तुरंत मिले। इसीलिए पीएफ सदस्य के रूप में रजिस्टर्ड व्यक्ति की मृत्यु पर तुरंत रुपया देने की कोशिश शुरू की है। इसमें हम अखबारों पर भी नजर रखकर सदस्यों की तलाश कर कार्रवाई अपने स्तर पर करने की कोशिश कर रहे हैं। 
अजय मेहरा, कमिश्नर 
प्रॉविडेंट फंड - मध्यप्रदेश रीजन

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