तहसीलदारों ने गुपचुप तरीके से बिल्डरों को बेच डाली 157 एकड़ पट्टे की जमीन

भोपाल। राजधानी से सटे सीहोर में 6 तहसीलदारों ने मिलकर कलेक्टर के अधिकारों का अनाधिकृत उपयोग करते हुए किसानों को पट्टे पर दी गई 157 एकड़ जमीन भोपाल के छोटे मोटे बिल्डरों को बेच दी।

सूत्रों के अनुसार सीहोर कलेक्टर ने सरकारी जमीन की खरीद-फरोख्त की शिकायत मिलने पर 7 जुलाई 13 को एसडीएम हृदयेश श्रीवास्तव को जांच करने के आदेश दिए थे।  श्रीवास्तव ने दो माह में जांच पूरी कर पाया कि वर्ष 2007 से 2012 तक पाटन गांव की 90 प्रतिशत सरकारी जमीन बेच दी गई है।

यह खेल यहां पदस्थ रहे छह तहसीलदारों की मिलीभगत से हुआ। कलेक्टर कियावत ने दोषी तहसीलदारों के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुशंसा सहित रिपोर्ट 5 सितंबर को संभागीय कमिश्नर एसबी सिंह को भेज दी है। 

रजिस्ट्रार भी दोषी : जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि बेची गईं जमीन खसरा रिकॉर्ड में शासन के नाम पर दर्ज थी। फिर इन जमीन की रजिस्ट्री कैसे हो गई? इसके लिए रजिस्ट्रार  को दोषी मानते हुए कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई है।

 सरकारी जमीन बेचे जाने की शिकायत मिलने के बाद एसडीएम से जांच कराई गई थी, जिसमें तहसीलदारों को दोषी पाया गया। उनके विरुद्ध कार्रवाई के लिए भोपाल कमिश्नर को जांच प्रतिवेदन भेजा गया है।
-कवींद्र कियावत, कलेक्टर सीहोर

इनको बेची जमीन
नारायण दास अग्रवाल, अक्षित एलपी प्रा. लि., अमित प्रताप, सतीश कुमार, कृष्णा बाई, संजय श्रीवास्तव, शंभुनाथ, सतीश पाटीदार, शारदा बलवान सहित 70 लोगों को जमीन बेची गई।

क्या है नियम 
भू राजस्व संहिता 1959 की धारा 165 (7 ख) के मुताबिक सरकारी जमीन के पट्टे का नामांतरण अथवा बेचने की अनुमति सिर्फ कलेक्टर दे सकते हैं, जबकि सीहोर में यह कार्रवाई तहसीलदारों ने अपने स्तर पर कर दी। इतना ही नहीं, बाकायदा राजस्व रिकॉर्ड में सरकारी जमीन को निजी दर्ज कर दिया। 

प्राइम लोकेशन पर है जमीन 
जिन पट्टों की जमीन बेची गईं है, वह रायसेन रोड पर नेशनल हाइवे से लगी हुई हैं। वर्तमान कलेक्टर गाइड लाइन के मुताबिक इस जमीन की कीमत करीब 20 करोड़ रुपए आंकी गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये जमीन भोपाल के व्यापारियों व उद्योगपतियों को बेची गई है। 

ये हैं दोषी तहसीलदार  
 संजय वाघमारे (वर्तमान में रतलाम में पदस्थ) : वर्ष 2010-11 में सीहोर में पदस्थ रहते हुए 2 एकड़ जमीन बेचने की अनुमति जारी की। 
पंकज मिश्रा (जबलपुर में पदस्थ) : वर्ष 2009 में पदस्थ रहते 18 पट्टों की 32 एकड़ जमीन का नामांतरण किया। 
 नरेंद्र बाबू (रायसेन में पदस्थ) : वर्ष 2009-10 में 18 पट्टों की 32 एकड़ जमीन का नामांतरण आदेश जारी किया।  
भास्कर गाचले (छतरपुर में पदस्थ) : वर्ष 2007-08 में 16 पट्टों की 40 एकड़ जमीन का नामांतरण किया। 
अनिल कुशवाहा (शाजापुर में पदस्थ): वर्ष 2007- 08 में 16 पट्टों की 50 एकड़ जमीन का नामांतरण आदेश जारी किया।
शिल्पी दिवाकर (भोपाल में पदस्थ): वर्ष 2010-11 में 1 एकड़ जमीन का नामांतरण आदेश जारी किया।

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