
इन 26 दिनों की अवधि में श्राद्धपक्ष के अलावा नवरात्रि के 7 दिन भी आ रहे हैं। इन दिनों में भी इस तरह के शुभकार्य प्रतिबंधित रहेंगे। ज्योतिषाचार्य पं. राधेश्याम बताते हैं कि इस अवधि में दान-पुण्य का विशेष महत्व हैं। इसका लाभ श्राद्ध पक्ष में पितरों के निमित्त ब्राह्मण भोजन, गौ ग्रास, भिक्षुकों को अन्न्दान, पक्षियों के लिए जल पात्र आदि लगाकर लिया जा सकता है।
ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार पंचागीय गणना में गुरु के अस्त होने का समय अलग-अलग दर्शाया गया है लेकिन उज्जयिनी के रेखांश की गणना के अनुसार अस्त काल 14 सितंबर से 9 अक्टूबर तक रहेगा। इस दौरान श्राद्ध पक्ष में रामघाट, सिद्धवट तथा गयाकोठा पर तीर्थ श्राद्ध किया जा सकता है।
लोग अपने पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान, नारायण बलि जैसे पितृ कर्म कर उनकी प्रसन्नता प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन जो लोग 1, 3, 5, 7, 9 तथा 11 वर्ष में अपने पितरों को श्राद्ध में लेने की इच्छा रख रहे हैं, उन्हें अगले साल तक इंतजार करना पड़ेगा।
विभिन्न् राशि के जातक यह करें दान
मेष- गेहूं व गुड़ का दान
वृषभ-चावल-मिश्री
मिथुन-हरे मूंग व रस पदार्थ
कर्क- दूध व इससे बने पदार्थ
सिंह-खड़े धान व पुस्तक
कन्या-गाय को हरी घास खिलाएं
तुला-गरीब व रोगियों को वस्त्र
वृश्चिक-तिक्षण भोजन का दान
धनु-गुड़ घी से निर्मित मालपुए
मकर-आठ प्रकार के खड़े धान
कुंभ-लोहे की वस्तु व वस्त्र
मीन-फल, पुस्तक, सोने के दाने