रिजल्ट 80% से अधिक चाहिए, जेल की रोटियां खिलवा दूंगा: CEO ने शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक में कहा | MP NEWS

मंदसौर। जिला पंचायत सीईओ आदित्य सिंह के एक बयान के बाद बवाल मच गया है। शिक्षा में सुधार के लिए जिला पंचायत में अधिकारियों व संकुल प्राचार्यों की बैठक आयोजित की गई। सीईओ सीईओ आदित्य सिंह इसमें काम नहीं होने पर जमकर फटकार लगाई। प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी से कहा कि ईमानदारी से काम नहीं होगा तो जेल की रोटियां खिला दूंगा। संकुल प्राचार्य द्वारा बीच में बोलने पर फटकार लगाते हुए बैठक से बाहर निकालने की चेतावनी दी। बैठक में डांटा, अच्छा काम करने पर सराहा भी, अंत में सीईओ ने कहा कि मुझे इस बार किसी भी स्थिति में 80 फीसदी से अधिक रिजल्ट चाहिए। 

पहले पीठ थपथपाई फिर डांट लगाई
जिपं सीईओ आदित्य सिंह ने गुरुवार दोपहर 1.30 बजे जिपं में जिला शिक्षा अधिकारी व अन्य अधिकारियों के साथ संकुल प्राचार्यों की बैठक ली। इसमें छात्रवृत्ति, साइकिल वितरण, अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति सहित 27 बिंदुओं पर चर्चा की। अधिकारियों-कर्मचारियों की लापरवाही पर सीईओ ने जमकर फटकार भी लगाई तो अच्छा काम करने पर तारीफ भी की। निर्देश दिए कि संकुल प्राचार्य को हर माह आठ स्कूलों का निरीक्षण करना होता है, अधिकतर द्वारा दो व तीन का निरीक्षण किए जाने पर प्राचार्यों को जमकर फटकार लगाई। सूठी प्राचार्य शीतल जैन द्वारा आठ स्कूलों का निरीक्षण किए जाने पर उन्हें प्रोत्साहित भी किया लेकिन कुछ देर बार बैठक में बीच में बोलने पर आदित्य सिंह ने उन्हें बैठक से बाहर निकालने की चेतावनी दे दी। 

समस्या मुझे बताएं, बहाना नहीं चलेगा
कार्य में लापरवाही मिलने पर उन्होंने प्रभारी जिला शिक्षा अिधकारी आरएल कारपेंटर से कहा कि ईमानदारी से काम नहीं होगा तो सभी को जेल की रोटियां खिला दूंगा। संकुल प्राचार्यों द्वारा सहायक अध्यापकों का वेतन समय पर नहीं निकालने पर सभी प्राचार्यों को समय पर वेतन निकालने के सख्त निर्देश दिए साथ ही किसी सहायक अध्यापक की शिकायत मिलने पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी। सीईओ ने सभी को साफ निर्देश दिए कि मुझे किसी भी स्थिति में 10वीं का परीक्षा परिणाम 80 फीसदी व 12वीं का परीक्षा परीणाम 90 फीसदी चाहिए। किसी को कोई समस्या है तो तुरंत मुझे बताएं, बाद में किसी के कोई बहाने नहीं चलेंगे। 

मुझसे ज्यादा वेतन ले रहे फिर भी काम नहीं हो रहा 
सीईओ ने संकुल प्राचार्य से कार्य की रिपोर्ट मांगी। काम लापरवाहीपूर्वक होने पर उन्होंने उससे उनकी सैलरी पूछी। प्राचार्य 89 हजार रुपए सैलरी ले रहे थे। इस पर सीईओ ने कहा कि मेरी सैलरी 67 हजार रुपए है। मुझसे ज्यादा सैलरी ले रहे फिर भी काम सही से नहीं हो रहा। 

कर्मचारी संघ ने विरोध जताया
मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष कन्हैयालाल लक्षकार ने उक्त बयान की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि "लोकतंत्र में असंसदीय भाषा मान्य नहीं है।" एक जवाबदार पद पर आसीन अधिकारी से इस प्रकार की आपत्तिजनक व धमकी भरी भाषा अपेक्षित नहीं है। कार्य संस्कृति विकसित होना चाहिए इसका हम समर्थन करते है लेकिन लक्ष्य हासिल करने के बहाने अपने पद का रोब जमाकर धमकी भरे लहजे व अंदाज में जिले के सभी सम्मानीय अधिकारियों/प्राचार्यो को जेल की रोटी खिलवाने वाला बयान निंदनीय है, इसकी भर्त्सना करते है। इससे कर्मचारियों/अधिकारियों में भारी असंतोष व आक्रोश व्याप्त है। 

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