GWALIOR से 609 सहरिया आदिवासी लापता, हड़कंप | MP NEWS

भोपाल। मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर से 609 सहरिया आदिवासी लापता हो गए हैं। इन लापता आदिवासियों को तलाशने के लिए अब आदिम जाति कल्याण विभाग जुट गया है। दरअसल, केंद्र सरकार ने सहरिया आदिवासियों को विभिन्न योजनाओं के तहत लाभ देने के लिए आंकड़ा मांगा तो प्रशासन के पैरों तले से जमीन खिसक गई। ग्वालियर आदिम जाति कल्याण विभाग के पास इन आदिवासियों की जानकारी नहीं है।

मध्य प्रदेश में रहने वाली सहरिया जनजाति के लिए राज्य एवं केंद्र सरकार ने विभिन्न योजनाएं चलाई हुई हैं। हाल ही में केंद्र सरकार ने विभिन्न योजनाओं के तहत लाभ देने के लिए मध्य प्रदेश शासन के आदिम जाति कल्याण विभाग से सहरिया जनजाति के लोगों का डाटा मांगा, लेकिन डाटा तो दूर की बात विभाग के पास इस जनजाति का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। आदिम जाति कल्याण विभाग ग्वालियर की सहायक आयुक्त उषा पाठक ने बताया कि शहर में कुल 609 सहरिया आदिवासी रहते हैं, लेकिन ये किन इलाकों में रह रहे हैं, यह पता नहीं है। विभाग इन लोगों की तलाश में जुट गया है, ताकि इनके जाति प्रमाणपत्र व अन्य दस्तावेज बनाकर सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ दिलवाया जा सकें।

ग्वालियर शहर में गुमशुदा आदिवासियों को लेकर विभाग ने तर्क दिया है कि ये आदिवासी पहले ग्रामीण इलाकों में थे, लेकिन अब इनके घर शहरी क्षेत्र में आ गए है, जिससे इन्हें तलाशना मुश्किल हो गया है। मामला में सामाजिक कार्यकर्ता सुधीर सप्रा का कहना है कि मूल आदिवासियों को सरकारी योजनाओं की लाभ ही नहीं पहुंचाया जा रहा है। सरकारी मशीनरी की लापरवाही के चलते सहरिया आदिवासी बदहाली में जी रहे हैं। आदिम जाति कल्याण विभाग का कहना है कि अब तक ढाई सौ सहरिया आदिवासियों को चिन्हित किया गया है। सभी 609 आदिवासियों की तलाश के लिए नगर निगम की मदद भी ली जाएगी।

भले ही आदिम जाति कल्याण विभाग सहरिया आदिवासियों के गुमशुदा होने के लिए कई तर्क दे रहा है, लेकिन सवाल यह है कि अगर आदिवासी पहले ग्रामीण इलाकों में थे, तो उनका दस्तावेजीकरण क्यों नहीं किया गया। अगर ये आदिवासी शहर के दायरे में आए तो इनका सर्वे क्यों नहीं किया गया। बहरहाल, आने वाले दिनों में लोकसभा चुनाव है, लिहाजा आदिवासियों को दिया जा रहा विभिन्न योजनाओं के लाभ को भी गिनाया जाएगा, जिसके लिए इनके आंकड़े समेटे जा रहे हैं।

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