मप्र की जनता ने इंटरनेट पर किसी भी नेता को सर्च नहीं किया: खुलासा | MP ELECTION NEWS

उपदेश अवस्थी/भोपाल। कुछ मीडिया संस्थानों ने एक सर्च रिपोर्ट प्रस्तुत की है। इसमें यह बताया गया है कि मप्र में लोगों ने इंटरनेट पर सबसे ज्यादा किस नेता को सर्च किया। दावा किया जा रहा है कि सबसे ज्यादा दिग्विजय सिंह को सर्च किया गया, उसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ को। भाजपा में सिर्फ शिवराज सिंह चौहान को सर्च किया गया। जबकि कैलाश विजयवर्गीय और प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह को नाम मात्र के लोगों को ने ही सर्च किया। हम बातते हैं कि दरअसल, यह रिपोर्ट गलत तरीके से प्रस्तुत कर दी गई है। यह लोकप्रियता का ग्राफ नहीं है। 

क्या कहा गया है वायरल रिपोर्ट में

गूगल सर्च के डाटा बताता है कि शिवराज सिंह चौहान, कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया को हर महीने न्यूनतम 10000 से लेकर अधिकतम 100000 बार सर्च किया गया। वहीं, कैलाश विजयवर्गीय, राकेश सिंह और नरेंद्र सिंह तोमर अधिकतम 10000 बार गूगल पर सर्च किए गए हैं।

यह आंकड़ों क्यों विश्वस्नीय नहीं है

दरअसल, यह आंकड़ा गूगल एडवर्ड की वर्ड प्लानर टूल की ओर से प्राप्त किया गया है। यह विज्ञापनदाताओं के लिए उपलब्ध कराया गया टूल है। इसमें पिछले 3 महीने के सर्च रिजल्ट को आधार मानकर भविष्य की संभावनाओं के आंकड़े पेश किए जाते हैं। ताकि आप अपना विज्ञापन अभियान प्लान कर सकें। यदि आप किसी प्राइवेट कंपनी या उत्पाद के लिए इसका इस्तेमाल कर रहे हैं तो यह काफी बेहतर है परंतु यदि आप किसी नेता या पार्टी के संदर्भ में इसका इस्तेमाल कर रहे हैं तो यह सटीक नहीं होता, यह आपको भ्रमित कर सकता है और आपका ​अभियान गलत दिशा में जा सकता है। क्योंकि इस बात की ​कतई गारंटी नहीं है कि लोग भविष्य में क्या सर्च करने वाले हैं। 

ये है 3 माह का औसत सटीक परिणाम

अंग्रेजी शब्द digvijay singh को प्रतिमाह औसत 33,100 लोग सर्च करते हैं। 
अंग्रेजी शब्द jyotiraditya scindia को प्रतिमाह औसत 22,200 लोग सर्च करते हैं। 
अंग्रेजी शब्द shivraj singh chouhan को प्रतिमाह औसत 12,100 लोग सर्च करते हैं। 
अंग्रेजी शब्द kamal nath को प्रतिमाह औसत 12,100 लोग सर्च करते हैं। 
अंग्रेजी शब्द kailash vijayvargiya को प्रतिमाह औसत 5,400 लोग सर्च करते हैं। 
अंग्रेजी शब्द rakesh singh को प्रतिमाह औसत 3,600 लोग सर्च करते हैं। 
नोट: यहां बताना जरूरी है कि यह केवल अंग्रेजी शब्द के सर्च रिजल्ट हैं। यदि किसी ने 'राजा दिगिवजय सिंह' या 'श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया' या 'मामा शिवराज सिंह' अंग्रेजी में सर्च किया है तो वह परिणाम इसमें शामिल नहीं है। इसके अलावा यदि किसी ने हिंदी में सर्च किया है तो वो परिणाम भी शामिल नहीं है। 

तो क्या यह लोकप्रियता का पैमाना है

ऊपर दिया गया सर्च रिजल्ट भी लोक​प्रियता का पैमाना नहीं है क्योंकि जो परिणाम सामने आए हैं हम यह मानते हैं कि इतने सर्च तो देश भर के विभिन्न मीडिया संस्थानों के कर्मचारियों ने इन नेताओं के फोटो प्राप्त करने के लिए कर किए होंगे। अत: यह मान लिया जाना चाहिए कि जनता ने मप्र के इन नेताओं के बारे में कुछ भी सर्च नहीं किया। 

लोग नाम नहीं सवाल सर्च करते हैं

यहां बताना जरूरी है कि लोग गूगल पर नाम नहीं बल्कि सवाल सर्च करते हैं। जैसे पिछले दिनों एसी एसटी एक्ट के विरुद्ध चल रहे प्रदर्शन के दौरान गूगल पर शिवराज सिंह से संबंधित एक सवाल सर्च किया जा रहा था 'शिवराज सिंह की जाति क्या है।' इसी तरह के सवालों को आम जनता का सर्च माना जाता है। एक्स्पर्ट्स के कीवर्ड लोकप्रियता नहीं होते। वो अपने प्रोफेशन के लिए सर्च करते हैं। 
लेखक उपदेश अवस्थी गूगल पर सर्च किए जाने वाले हिंदी के प्रश्नों के सर्वाधिक उत्तर देने वाले विशेषज्ञों में शामिल हैं। इन्हे 'गूगल हिंदी' द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है।
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