धर्मांतरण करने वाले दलितों को नहीं दिया जा सकता लाभ: हाईकोर्ट | Religion Change and Government Scheme

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में सोमवार को एक अहम सवाल उठाया गया। इसके जरिए पूछा गया कि क्या मुसलमान बनने के बाद अनुसूचित जाति-जनजाति के सदस्य की हैसियत से लाभ उठाया जा सकता है? न्यायमूर्ति एसके पालो की एकलपीठ ने इस सवाल को गंभीरता से रेखांकित करते हुए नरसिंहपुर निवासी सुशांत पुरोहित के खिलाफ अनुसूचित जाति-जनजाति अधिनियम-1989 के तहत एक महिला द्वारा दर्ज कराए गए आपराधिक प्रकरण के तहत कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगा दी।

सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता आदर्शमुनि त्रिवेदी, आशीष त्रिवेदी, प्रशांत अवस्थी, असीम त्रिवेदी, आनंद शुक्ला व आशीष कुमार तिवारी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि नरसिंहपुर के किसानी वार्ड में रहने वाली महिला ने स्वयं को अनुसूचित जाति-जनजाति की सदस्य बताते हुए याचिकाकर्ता के खिलाफ जातिगत अपमान का प्रकरण दर्ज करवाया है।

चूंकि महिला पूर्व में हिन्दू थी और अब मुसलमान बन चुकी है, अतः उसके द्वारा अनुसूचित जाति-जनजाति की सदस्य होने का दावा करके किसी के खिलाफ प्रकरण दर्ज नहीं करवाया जा सकता। किम्मलबाई ठाकुर गोंड जनजाति की महिला थी, उसने लंबे अर्से पहले हुसैन कादरी ने निकाह कर लिया था। इसके लिए बाकायदे धर्म परिवर्तन करके मुस्लिम बन गई थी। इसी के साथ उसका नाम मुमताज बी हो गया था। उसके दो पुत्र हैं, जिनके नाम 21 वर्षीय सुहैल और 16 वर्षीय शाहिद हैं। मतदाता सूची और अन्य दस्तावेजों में महिला मुस्लिम के रूप में दर्ज है।
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