भोपाल। जबलपुर जिला पंचायत सदस्य विजयकांति पटेल ने ने जिले में बड़े पैमाने पर आरटीई घोटाले का खुलासा किया है। पटेल का दावा है कि स्कूलों ने मनमाने बिल पेश किए और अधिकारियों ने बिना जांच किए पेमेंट कर दिए। पटेल का कहना है कि पूरा सिंडिकेट है जिसमें अधिकारी और स्कूल संचालक शामिल हैं। करीब 646 स्कूलों की जांच की जानी चाहिए। इस घोटाले का सबसे बड़ा बैंचमार्क यह है कि गुरू पब्लिक स्कूल को आरटीई के तहत पेमेंट किया गया जबकि दर्ज पते पर यह स्कूल मौजूद ही नहीं है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि इस स्कूल ने जिन छात्रों को तीसरी कक्षा में दाखिला दिखाया, समग्र आईडी में उनकी उम्र 57 साल है।
जबलपुर के बड़ी मदार टेकरी स्थित गुरू पब्लिक स्कूल में सत्र 2014-2015 में शिक्षा के अधिकार कानून के तहत केजी 1 के लिए 26, केजी 2 के लिए 27, क्लास 1 के लिए 24, क्लास 2 के लिए 12 और 3 क्लास के लिए 12 सीट्स आवंटित थी। आरटीई के हिसाब से इस स्कूल में जिन बच्चों का दाखिला 25 प्रतिशत के कोटे पर हुआ उसका 3800 रुपये प्रति बच्चे के हिसाब से शासन ने रेिंबर्समेंट राशि स्कूलों को दी।
57 साल के वृद्ध को तीसरी कक्षा का छात्र बताया
समग्र आईडी क्रमांक 1-142347166 से स्कूल में कौशर जहां नाम के छात्र का दाखिला हुआ जो तीसरी कक्षा का छात्र है लेकिन समग्र पोर्टल में इस आईडी पर 57 वर्षीय सलीम का नाम दर्ज है। 171125541 आईडी से तीसरी कक्षा मे दिलशाद अहमद का दाखिला किया गया लेकिन समग्र पोर्टल में इस आईडी पर 32 वर्षीय सलीम मोहम्मद का नाम दर्ज है।
दर्ज पते पर स्कूल ही नहीं है
केवल बड़ी मदार टेकरी स्थित गुरू पब्लिक स्कूल में ऐसे करीब दो दर्जन फर्जी नाम हैं उससे भी बड़ा चौंकाने वाला मामला यह है कि इस स्कूल का संचालन कहां हो रहा है, इसका कुछ पता नहीं है। स्कूल की कोई बिल्डिंग नहीं है लेकिन कागजों में सब मौजूद है। ऐसा ही फर्जीवाड़ा अन्य तमाम स्कूलों में भी मिला है।
646 स्कूलों में हुआ है घोटाला
जबलपुर जिला पंचायत सदस्य विजयकांति पटेल ने सितंबर 2017 में लिखित शिकायत देते हुए जिले के करीब 646 स्कूलों के खिलाफ शिक्षा के अधिकार के तहत मिलने वाली धनराशि के घोटाले की जांच करने की मांग की थी। इस मामले में जिला प्रशासन द्वारा दो सदस्यों की जांच टीम बनाई गई जिसने 8 महीने की जांच के बाद 646 में से मात्र 7 स्कूलों के खिलाफ करीब 38 लाख रुपये की रिकवरी निकाली है। बाकी स्कूलों की जांच रिपोर्ट बाकी हैं। आरोप है कि इस तरह वर्ष 2014-15 में शिक्षा विभाग को प्रदान की गई लगभग 6 करोड़ की राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा दी गई जिसमें निजी स्कूल संचालकों का भी हिस्सा है।
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