ग्वालियर संभाग में 19 हजार किसानों पर लाद दिए बिजली चोरी के केस

ग्वालियर। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने ग्वालियर संभाग के 19 हजार किसानों पर बिजली चोरी के केस लाद दिए। किसानों से 59 करोड़ रुपए की वसूली की तैयारी की कर ली गई है। 11548 मामले कोर्ट में दाखिल कर दिए गए हैं जबकि 7582 मामले कोर्ट में दाखिल किए जाने की तैयारी की जा रही है। दलवीर सिंह चौहान का कहना है कि बिजली कंपनियों के 90 प्रतिशत मामले कोर्ट में झूठे साबित होते हैं और खारिज कर दिए जाते हैं। यह किसानों को तंग करने का एक तरीका है। 

पत्रकार विकास जांगरा की एक रिपोर्ट के अनुसार बिजली कंपनी ने पिछले दो साल में 19 हजार बिजली चोरी के केस दर्ज किए। पहले किसानों को समझौते के तहत केस खत्म करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन केस झूठा होने की वजह से किसानों ने कंपनी से समझौता नहीं किया। 19 हजार में से 11 हजार 548 केसों का कोर्ट में परिवाद दायर कर दिया गया है। इन पर 32 करोड़ 95 लाख का बकाया बताया। 7 हजार 582 केस प्री -लिटिगेशन (कोर्ट में परिवाद दायर होना है) में रखे गए हैं, लेकिन किसान समझौता नहीं कर रहे हैं। कोर्ट केसों पर नजर डालें तो 99 फीसदी मामलों में कंपनी की कार्रवाई झूठी निकल रही है।

ऐसे की जा रही बिजली चोरी की बिलिंग

बिजली नियामक आयोग ने किसानों पर बिजली चोरी पकड़े जाने पर नियम तय किया है। प्रतिदिन 6 घंटे आपूर्ति व 6 महीने की बिलिंग की जा सकती है, लेकिन बिजली कंपनी आयोग के फार्मूले पर काम नहीं कर रही हैं। किसानों के चोरी के जितने भी केसों में बिल जारी हुए हैं, उसमें 10 घंटे की बिजली आपूर्ति बताई गई है और साल भर बिजली का चोरी से उपयोग बताया गया है। 50 हजार से 70 हजार रुपए के बीच बिल दिए गए हैं। जबकि किसान को रवी के सीजन में सिंचाई के लिए बिजली की पांच महीने जरूरत पड़ती है, लेकिन बारिश व गर्मी के दिनों को भी जोड़कर बिलिंग की जा रही है।

इस तरह बनाया गया बिजली चोर

बिजली कंपनी ने सिंचाई के लिए टेंपरेरी कनेक्शन देना बंद कर दिए हैं। जैसे ही लाइन लॉस बढ़ता है तो अपना टारगेट पूरा करने के लिए पूर्व में टेंपरेरी कनेक्शन लेने वालों पर केस दर्ज कर देते हैं। उन्हें पंचनामा नहीं दिया जाता है। कोर्ट में परिवाद दायर होने के बाद उन्हें चोरी के केस की जानकारी होती है। ऑफिस में की गई कार्रवाई की वजह से कोर्ट में केस झूठे साबित होते हैं। जिस व्यक्ति पर बिजली चोरी का केस लगाया गया है, उसके पंचनामे पर हस्ताक्षर नहीं होते हैं। न कंपनी के पास कोई स्वतंत्र गवाह होता है।

किसानों को परेशान किया जा रहा है

बिजली मामलों के विशेषज्ञ एडवोकेट दलवीर सिंह चौहान का कहना है कि बिजली कंपनी ने किसानों पर झूठे केस बनाए हैं। ये कोर्ट में साबित नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन केस दर्ज कर किसान को परेशान किया जा रहा है। गलत तरीके से 60 करोड़ की बिलिंग की गई है। कंपनी द्वारा की गई कार्रवाई से ऊर्जा मंत्रालय को अवगत कराया है।

नहीं नहीं, ये बिजली चोरी के मामलों की संख्या नहीं है

जो आंकड़ा आप बता रहे हैं, वह बिजली चोरी का नहीं है। इसमें सभी तरह के केस हैं। इसमें बिलिंग के केस भी हैं। चोरी के केसों की संख्या काफी कम है। इनकी समीक्षा की जाती है।
डॉ. संजय गोयल, एमडी मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी
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