ग्वालियर। मुरार ब्लॉक में गुठीना गांव के सरकारी स्कूल में पदस्थ टीचर हरिशंकर श्रीवास्तव के निधन के बाद उनके दो बेटों ने अनुकंपा नियुक्ति ले ली। सूचना के अधिकार में इस बात का खुलासा होते ही गलत दस्तावेज के आधार पर 22 साल तक नौकरी करने के बाद एक बेटे ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। सिर्फ इतना ही नहीं उसने विभागीय अफसरों से साठगांठ कर सेवानिवृत्ति पर मिलने वाला भुगतान भी ले लिया। अब दोनों भाईयों पर कार्रवाई की तैयारी विभाग कर रहा है। एक पर तो एफआईआर कराने के बाद वसूली भी होगी।
दूसरे बेटे ने 4 साल बाद भी ली अनुकंपा नियुक्ति
शिक्षक हरिशंकर श्रीवास्तव का निधन 1988 में हुआ। परिवार के सदस्यों की सहमति के आधार पर उनके बेटे सुनील श्रीवास्तव ने 9 जुलाई 1991 में निम्न श्रेणी लिपिक के पद पर नियुक्ति ले ली। यह आदेश संयुक्त संचालक ने जारी किया। कुछ दिन बाद एक और बेटे अनिल श्रीवास्तव ने पिता के निधन के आधार पर ही अनुकंपा नियुक्ति का आवेदन दिया। इस बार भी परिवार के सदस्यों ने अपनी सहमति दे दी। इस बार विभाग ने अनिल को सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्ति 7 अप्रैल 1995 को दी। यह आदेश उप संचालक अजय रस्तोगी ने जारी किया जिनका अब निधन हो चुका है।
यह मामला मुरैना के आरटीआई कार्यकर्ता की जानकारी के बाद उजागर हुआ तो विभाग में पदस्थ उप संचालक विकास जोशी व सहायक संचालक हरिओम चतुर्वेदी ने जांच की। संयुक्त संचालक अरविंद सिंह ने इस पूरे मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि दोनों भाईयों पर कार्रवाई होनी है। एक से तो वेतन के रूप में ली गई राशि की वसूली व फर्जी दस्तावेज के आधार पर नौकरी हासिल करने के मामले में पुलिस में भी प्रकरण दर्ज कराया जाएगा।
घोटाला खुला तो स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली
फर्जी नियुक्ति का राज खुलने के बाद जहांगीरपुर स्कूल में पदस्थ अनिल श्रीवास्तव ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन दिया। इसे वहां के प्राचार्य ने बिना किसी जांच के 6 नवंबर 2017 को मंजूर करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी के पास भेज दिया। इसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी ने 26 दिसंबर को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति भी प्रदान कर दी। अनिल को उनकी 22 साल की सेवा के दौरान जमा राशि का भुगतान भी कर दिया गया।
भर्ती के समय मिलता था 4 हजार रु. वेतन
अनिल श्रीवास्तव ने विभाग से वेतन के रूप में पिछले 22 साल में 18 लाख रुपए से ज्यादा वसूल किए। जब उसकी नियुक्ति हुई तब वेतन के रूप में 4 हजार रुपए मिलते थे। 22 साल की सेवा में कई वेतनवृद्धि मिलने के बाद उसे कब कितना वेतन मिला? इसकी गणना विभागीय अधिकारी कर रहे हैं। संयुक्त संचालक स्कूल शिक्षा ने यह जिम्मेदारी जिला शिक्षाधिकारी को सौंपी है।
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