शिवराज सिंह भावांतर के बाद किसानों के लिए फिर नई योजना ला रहे हैं

भोपाल। पिछले साल किसान आंदोलन के दौरान शिवराज सिंह ने भावांतर योजना का ऐलान किया था। वो सफल नहीं हो सकी। इस साल एक बार फिर किसान आंदोलन का शंखनाद हो चुका है। किसानों को शांत कराने के लिए शिवराज सिंह एक बार फिर एक नई योजना की तैयारी कर रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि क्षेत्र की नई योजना के संकेत दिए हैं। इस प्रस्तावित योजना के तहत किसानों को प्रति एकड़ उत्पादन के लिहाज से फसलों का वाजिब मूल्य दिए जाने का खाका तैयार किया जा रहा है।

शिवराज ने रविवार रात कृषि क्षेत्र पर फ्री प्रेस और मनी कंट्रोल के आयोजित कार्यक्रम में कहा, 'मैं किसानों के साथ बैठूंगा और तय करूंगा कि क्या ऐसा भी किया जा सकता है कि उन्हें प्रति एकड़ पैदावार के हिसाब से फसलों का उचित मूल्य दे दिया जाए। उन्होंने हालांकि इस प्रस्तावित योजना का विस्तृत विवरण नहीं दिया लेकिन कहा कि इस प्रयोग से छोटे किसानों को खास फायदा होगा, क्योंकि आर्थिक आवश्यकताओं के चलते वे फसलों का लंबे समय तक स्टोर नहीं कर पाते। कटाई के तुरंत बाद उपज बेचने की वजह से उन्हें अक्सर फसलों का वाजिब मूल्य नहीं मिल पाता।

मुख्यमंत्री ने कहा, 'मैं इस बात को लेकर चिंतित हूं कि किसानों को उनकी फसलों के बेहतर दाम किस तरह दिए जाएं। मैं उन्हें उनके पसीने की पूरी कीमत देना चाहता हूं। इसके लिए हमने भावांतर भुगतान योजना जैसे नवाचार किए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उनकी अगुवाई वाली सरकार ने पिछले 12 सालों में राज्य के 40 लाख हेक्टेयर में सिंचाई सुविधाएं पहुंचा दी हैं। इससे पहले यह सिंचित रकबा केवल 7.5 लाख हेक्टेयर के स्तर पर था।

शिवराज ने कहा, 'अब हमने प्रदेश के सिंचित रकबे को बढ़ाकर 80 लाख हेक्टेयर तक ले जाने की योजना का खाका तैयार किया है। इसके लिए छोटे-बड़े बांध बनाने, नदियों को जोड़ने और अन्य योजनाओं में 1.10 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया जायेगा। उन्होंने कहा कि कई बार बाजार की आवश्यकता से अधिक उत्पादन के चलते किसानों को उनकी फसलों के वाजिब दाम नहीं मिल पाते। लिहाजा प्रदेश सरकार अब किसानों को यह सलाह भी देगी कि अच्छे दाम पाने के लिए उन्हें कौन-सी फसल कब बोनी चाहिए।

शिवराज ने यह भी कहा कि किसानों को अपने खेतों के पास छोटे खाद्य प्रसंस्करण संयंत्र लगाने के लिए सरकारी मदद दी जाएगी। इसके साथ ही, केंद्र सरकार के कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) की तर्ज पर कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश में सरकारी बोर्ड का गठन किया जाएगा।
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