मप्र में आदिवासियों के खिलाफ दर्ज क्रिमिनल केस वापस लिए जाएंगे | MP NEWS

भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने आदिवासियों के खिलाफ आपराधिक मामले वापस लेने का ऐलान किया है। सरकार ने करीब 60 हजार आदिवासियों के खिलाफ दर्ज आपरीधिक मुकदमें वापस लेने का फैसला लिया है। जिला आदिवासी विकास समितियों ने केस वापसी की तैयारी भी शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि सीएम शिवराज सिंह चौहान के निर्देश के बाद हर जिले में आदिवासियों पर दर्ज आपराधिक मुकदमों की पड़ताल शुरू कर दी गई है। केस वापसी के अलावा नक्सल इलाकों में पुलिस भर्ती में आदिवासियों को प्राथमिकता देने की बात भी कही गई है। प्रदेश में कुल जनसंख्या का 20 फीसदी आदिवासी हैं, इसमें 89 ब्लॉक आदिवासी बाहुल्य हैं।

60 हजार आदिवासियों को राहत
एक अनुमान के मुताबिक इस फैसले के बाद प्रदेश के करीब 60 हजार आदिवासियों पर दर्ज मुकदमे वापस से लिए जाएंगे. इसके पीछे सरकार यह तर्क दे रही है कि ये सामान्य प्रवृत्ति के आपराधिक मामले हैं। इसलिए इन्हें वापस लेने का फैसला लिया गया है. प्रदेश के आदिम जाति कल्याण मंत्री लाल सिंह आर्य ने इसे मध्य प्रदेश के आदिवासियों के लिए ऐतिहासिक फैसला बताया है। उन्होंने कहा कि इस कदम से प्रदेश के आदिवासियों को बड़ी राहत मिलेगी।

कांग्रेस ने बताया चुनावी हथकंडा
कांग्रेस के प्रवक्ता केके मिश्रा ने इसे मात्र चुनावी प्रलोभन बताते हुए कहा कि 60 हजार क्रिमिनल केसेज की समीक्षा करने में वक्त लग जाएगा। तब तक चुनाव निपट जाएंगे। उन्होंने कहा कि ये केवल चुनावी साल में आदिवासियों को लुभाने की एक तरकीब मात्र है।

क्या कहता है आदिवासी गणित
मध्य प्रदेश में आदिवासियों की आबादी कुल जनसंख्या की करीब 20 फीसदी है। प्रदेश के 813 में से 89 ब्लॉक आदिवासी बाहुल्य हैं. इतना ही नहीं 70 सीटों पर जीत हार का फैसला भी आदिवासियों के हाथ में ही माना जाता है।

इसलिए यहां चुनाव हारी थी BJP
इस 20 फीसदी आबादी की सरकार से नाराजगी इस बात से भी समझी जा सकती है कि रतलाम-झाबुआ लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी को करारी हार झेलनी पड़ी थी। इसी के साथ महाकौशल समेत शहडोल संभाग में भी बीजेपी की पकड़ कमजोर समझी जाती है। आने वाले चुनावों में सरकार इस कमजोर कड़ी को मजबूती के तौर पर पेश करने की कोशिश में जुट गई है।

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