
जानकारी देने वाली सिंगापुर की कंपनी क्लाउडसेक इन्फॉर्मेशन सिक्युरिटी का कहना है कि उन्हें डार्क वेब पर एक ऐसी वेबसाइट मिली जो गूगल और बाकी सर्च इंजन में दर्ज नहीं थी। इस पर पीएनबी के कस्टमर्स का सारा डाटा गैरकानूनी तरीके से खरीदा-बेचा जा रहा था। बता दें कि डाटा लीक होने का यह मामला ऐसे वक्त सामने आया है जब पीएनबी पहले से लोन फ्रॉड केस से जूझ रहा है।
अभी जारी हुए कार्ड्स की जानकारी भी लीक
डाटा ट्रांजेक्शन्स (लेन-देन) पर नजर रखने वाली कंपनी क्लाउडसेक (CloudSek) के चीफ टेक्निकल ऑफिसर राहुल शशि ने एशिया टाइम्स को बताया कि हमारा एक प्रोग्राम डार्क वेब पर नजर रखता है। अगर इसमें कोई ऐसा डाटा आता है जिस पर हमें शक होता है तो हम उस पर तुरंत एक्शन लेते हैं।
उन्होंने कहा कि वेबसाइट डाटा को दो अलग-अलग सेटों में रिलीज कर रही थी। एक में CVV के साथ और दूसरे में इसके बिना। राहुल ने कहा कि जिस आखिरी कार्ड का डाटा लीक हुआ, उसमें 29 जनवरी की तारीख पड़ी थी यानी वेबसाइट पर अभी जारी हुए कार्ड्स की डीटेल्स भी लीक हुई हैं।
PNB का क्या बयान?
एक न्यूज एजेंसी के मुताबिक, पीएनबी के चीफ इन्फॉर्मेशन सिक्युरिटी ऑफिसर टीडी वीरवानी ने बैंक कस्टमर्स का डाटा लीक होने की बात को कन्फर्म किया है। उन्होंने कहा कि बैंक इस केस में सरकार के साथ काम कर रहा है।
वेबसाइट पर क्रेडिट-डेबिट कार्ड होल्डर्स के नाम, कार्ड की एक्सपायरी डेट, पर्सनल आइडेंटिफिकेशन नंबर (PIN) और कार्ड वेरिफिकेशन वैल्यू यानी CVV तक बेची जा रही है।
18 हजार कर्मचारियों के ट्रांसफर की बात गलत: पीएनबी
पीएनबी ने गुरुवार को मीडिया में आई में उन खबरों का खंडन किया, जिनमें दावा किया गया था कि 11400 करोड़ का फ्रॉड सामने आने के बाद 18 हजार कर्मचारियों का ट्रांसफर किया गया है। बैंक ने एक प्रेस रिलीज जारी कर के बताया कि बैंक पॉलिसी के तहत 19 फरवरी से अब तक सिर्फ 1415 कर्मचारियों और अधिकारियों के तबादले किए गए हैं।