
सवाल यह है कि आखिर क्यों अचानक भाजपा को राजपूतों के मान सम्मान और पद्मावती की आन बान शान का ध्यान आ गया। क्यों भाजपा के बड़े बड़े दिग्गज इस कदर उतावले हुए जा रहे हैं जबकि सरकार उनकी है। जब चाहें फिल्म को बैन कर सकते हैं, बंद करा सकते हैं। किसी बयान की जरूरत नहीं, बस श्रीराजपूत करणी सेना के ज्ञापन पर आदेश लिखते हुए साइन भर करना है। आइए जानने की कोशिश करते हैं, इसके पीछे का असली सच:
भाजपा नेताओं ने भड़काऊ बयान क्यों जारी किए
बीजेपी की सत्ता वाले करीब 7 राज्य इसकी रिलीज रोकने की बात कह चुके हैं। यह बैन पहले दिन भी लगाया जा सकता था लेकिन इससे पहले भाजपा नेताओं ने भड़काऊ बयान जारी किए। इस तरह से उन्होंने राजपूत वोटर्स को अपनी तरफ लुभाया और फिल्म को बैन करने का श्रेय भी भाजपा को मिल गया। यदि ऐसा ना करते तो यह श्रेय श्रीराजपूत करणी सेना को मिलता और भाजपाईयों को मालूम है कि करणी सेना से तात्पर्य राजपूत समाज नहीं है।
500 विधानसभा सीटों पर राजपूतों का असर
दरअसल देश में इसके बहाने राजनीतिक दल राजपूतों की राजनीति कर रहे हैं। राजपूत देश के 15 बड़े राज्यों मे 450-500 विधानसभा सीटों पर असर डालते हैं। इसीलिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों पार्टियां फिल्म के खिलाफ खुलकर बोल रही हैं। कांग्रेस की पंजाब सरकार ने भी इसकी रिलीज के खिलाफ है। सिर्फ पश्चिम बंगाल और कर्नाटक में समर्थन में है।
इसलिए इन 4 राज्यों में रोक लगाई
गुजरात में 17 से 18 जिलों में करीब 10% वोटर्स राजपूत हैं। 20 से 25 सीटों पर इनका असर है। अभी करीब 18 राजपूत विधायक हैं।
उत्तरप्रदेश में 10 से 11% मतदाता राजपूत हैं। इस समय राज्य में निकाय चुनाव चल रहे हैं। 14 सांसद और 78 विधायक राजपूत हैं। यहां 100 सीटों पर राजपूतों का प्रभाव है।
राजस्थान में 8-10% राजपूत वोटर्स हैं। 2018 में चुनाव हैं। करीब 28 विधायक, तीन सांसद राजपूत हैं।
मध्य प्रदेश में 7 से 8% वोटर्स हैं। करीब 40-45 सीटों पर राजपूत अहम। यहां 2018 में चुनाव हैं। 3 सांसद राजपूत हैं।
राज्यों में राजपूत वोटर्स की संख्या
उत्तर प्रदेश 1.5 करोड़
राजस्थान 65-70 लाख
मध्यप्रदेश 60-65 लाख
बिहार 50-55 लाख
गुजरात 40-45 लाख
उत्तराखंड 35-40 लाख
हिमाचल 25 लाख