
बताया जा रहा है कि प्रमोशन नहीं होने से अधिकारियों-कर्मचारियों में फैल रहे रोष को देखते हुए सरकार ने नया रास्ता निकाला है। अब पदोन्नति के लिए आरक्षण तो आबादी की हिसाब से पहले जैसा रहेगा पर वरिष्ठता सूची अलग-अलग बनेंगी यानी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अनारक्षित वर्ग की वरिष्ठता सूची अलग-अलग होगी। अभी वरिष्ठता सूची एक ही बनती है। मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों ने प्रमोशन के लिए इस तरह का फॉर्मूले बनाए जाने की पुष्टि की है।
पदोन्नति के पद अनुसूचित जाति के लिए 16, अनुसूचित जनजाति के लिए 20 और अनारक्षित (सामान्य) वर्ग के लिए 64 प्रतिशत रहेंगे। सभी अपने-अपने वर्ग में आगे बढ़ेंगे। यदि आरक्षित वर्ग में पदोन्नति के पद ज्यादा हैं और लोग कम तो वे खाली रखे जाएंगे, लेकिन दूसरे वर्ग से भरे नहीं जाएंगे। इसमें ये व्यवस्था भी खत्म हो जाएगी कि एक बार आरक्षण से पदोन्नति लेने के बाद मेरिट के आधार पर पदोन्नति लेते जाएं। अभी ये व्यवस्था चल रही थी। कुछ अधिकारियों ने पहली पदोन्नति तो आरक्षण कोटे से ले ली और फिर मेरिट के आधार पर आगे बढ़ते रहे। अनारक्षित वर्ग की आपत्ति भी इसी मुद्दे को लेकर है, क्योंकि इससे नुकसान सामान्य वर्ग का ही हुआ।
फीडर कैडर की वरिष्ठता मान्य नहीं होगी
सूत्रों का कहना है कि नई व्यवस्था लागू होने पर फीडर (मूल) कैडर की वरिष्ठता मान्य नहीं होगी। पदोन्नति के वक्त जो वरिष्ठता तय होगी, वहीं मान्य की जाएगी। संविधान संशोधन के बाद ये व्यवस्था लागू हो चुकी है। यदि पदोन्न्ति के लिए एक पद है तो फिर फीडर कैडर में ज्वॉइनिंग की तारीख से वरिष्ठता तय कर पदोन्नति होगी।
मुख्यमंत्री कार्यालय कर रहा है मॉनीटरिंग
पदोन्नति के नए नियमों को लेकर पूरी कवायद मुख्यमंत्री कार्यालय की देखरेख में संपन्न् हो रही है। मुख्यमंत्री ने अपने एक खास अधिकारी को यह काम दिया है। सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारी इन्हीं के सीधे संपर्क में रहकर काम को अंजाम दे रहे हैं।
रिवर्ट करने पर फैसला सुप्रीम कोर्ट करेगा
मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि 2002 के पदोन्नति नियम के आधार पर पदोन्नति पाए अधिकारियों-कर्मचारियों को रिवर्ट करना है या नहीं, ये सुप्रीम कोर्ट तय करेगा। 10 अक्टूबर से पदोन्नति नियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में नियमित सुनवाई होगी।