मप्र प्याज घोटाला: GM नान के बाद मंडी सचिव भी सस्पेंड, जांच के आदेश अभी तक नहीं

भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों को राहत के नाम पर 8 रुपए प्रति किलो की दर से 9 लाख टन प्याज खरीद डाला। इसके बाद इसे सुयोजित तरीके से कोड़ियों के दाम बिकने के लिए छोड़ दिया गया। सत्तासीन नेता, नौकरशाह और व्यापारियों के अपवित्र गठबंधन के चलते पूरी नीलामी प्रक्रिया का मखौल बना दिया गया। फर्जी नीलामियां आयोजित की गईं। प्याज को सड़ा हुआ बताकर स्टॉक आउट किया गया। सब कुछ खुलेआम चल रहा था कि तभी इंडिया टुडे ने स्टिंग आॅपरेशन कर डाला। सरकार भी आनन फानन में जीएम और मंडी सचिव को सस्पेंड कर मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। 

नौकरशाह और व्यापारियों ने मिलकर पूरी नीलामी प्रक्रिया का ही मखौल बना कर रख दिया। सरकारी खजाने को चूना लगाने का ये सारा खेल व्यापारियों से मोटी घूस वसूल कर किया जा रहा है। संदेह व्यक्त किया जा रहा है कि प्याज घोटाले को राजनैतिक संरक्षण भी प्राप्त है। 

इस घोटाले का खुलासा इंडिया टुडे ने किया है। शहर के पर्यावास भवन में स्थित राज्य नागरिक आपूर्ति विभाग (MPSCSC) के मुख्यालय में महाप्रबंधक श्रीकांत सोनी ने मोटी घूस के बदले ट्रेन भर प्याज औने-पौने दाम में बेचने के लिए हामी भरी। जीएम कैमरे पर ये कहते हुए कैद हुआ- 'नीलामी को मैनेज कर लिया जाएगा। ये मैं कह रहा हूं कि मैं इसे शाजापुर, माक्सी, और शुजालपुर (मंडियों) में मैनेज कर लूंगा। जीएम ने गारंटी दी कि अंतिम बोली 2 रुपए प्रति किलो के आधार मूल से 10 पैसे से ज्यादा हर्गिज नहीं होगी। उसने कहा, 'मैं इसे 2.10 रुपए पर फिक्स कर दूंगां देखते हैं कि ये कितनी आसानी से 2.10 रुपए पर मैनेज हो जाएगा।

जीएम श्रीकांत सोनी ने सब कुछ मैनेज करने यानि नीलामी को मनमुताबिक शक्ल देने के लिए पहले 3 लाख से 4 लाख रुपए तक की मांग की। फिर उसने स्थानीय अधिकारियों को 'फिक्स' करने के नाम पर एक लाख रुपए और की मांग की। सोनी ने कहा, 'मुझे उनको (मंडी अधिकारियों) भी कुछ देना होगा। मैं उनसे बात करूंगा कि कैसे सब मैनेज किया जा सकता है। मैं ये सब 5 (लाख) में करूंगा। आजतक पर खबर दिखाए जाने के बाद सरकार ने महाप्रबंधक श्रीकांत सोनी को सस्पेंड कर दिया है।

इस सस्पेंशन आदेश के बहान घोटालो को दबाने की कोशिश की जा रही है। ये पूरा गोरखधंधा बहुत सुनियोजित ढंग से किया जा रहा था। इसके लिए विभिन्न मंडियों में फर्जी बोली लगाने वाले लोग भी खड़े किए जाते थे। इन्हें पहले से ही समझा दिया जाता है कि पूर्व निर्धारित की गई कीमत से अधिक बोली नहीं लगाएं। ऐसा भी किया जाता है कि सारे उत्पाद को ही खराब कह कर खारिज कर दिया जाए जिससे प्रतिस्पर्धात्मक बिक्री का मकसद ही नाकाम हो जाए।

तहकीकात से ये बात सामने आई कि जो सही में बड़े थोक विक्रेता हैं उन्हें नीलामी स्थल से दूर ही रखा जाता है। सोनी ने बताया, 'जो थोक व्यापारी ट्रेन से उत्पाद आने का इंतजार करते हैं उनसे अलग तरीके से डील किया जाता है। उनसे कहा जाता है कि कोई नीलामी नहीं हो रही है। ऐसा ही सिस्टम है। ऐसे ही सब मैनेज किया जाता है।

उज्जैन की चमन गंज मंडी में नोडल अधिकारी ओम प्रकाश सिंह को ऐसे व्यापारियों के बिचौलिए के तौर पर काम करते देखा गया जो कौड़ियों के दाम प्याज खरीदना चाहते हैं। सिंह ने नीलामी को गुपचुप ढंग से मैनेज करने की बात को माना। सिंह ने वादा किया, 'मैं इसे (नीलामी) 2.15 रुपए पर करा दूंगा। ये सुनिश्चित करना मेरा काम है कि आपको किसी और को भुगतान नहीं करना पड़े। सिंह ने इसके बाद इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर के साथ एक स्थानीय भंडारगृह का रुख किया। 

सिंह ने कहा, 'पिछले साल बहुत अच्छा चला था। जो सही में नुकसान (उत्पाद का खराब होना) हुआ था, उसे रिकॉर्ड में 2 से 5 फीसदी ज्यादा दिखाया गया। वो सभी 2 रुपए से ढाई रुपए के बीच नीलाम हुआ। कीमतें बाद में डेढ़ से एक रुपए तक आ गिरी थीं।

भ्रष्टाचार का ये दायरा मध्य प्रदेश के बड़े हिस्सों तक फैला है। इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर ने फिर शाजापुर मंडी का रुख किया। यहां मंडी सचिव वीरेंद्र आर्य ने दलाल की भूमिका निभाने के लिए तैयार होने में पलक झपकने की भी देर नहीं लगाई। आर्य ने अपने दफ्तर में ही एक व्यापारी को बुलाकर काल्पनिक नीलामी के लिए तैयार होने को कहा।

नवरतन जैन नाम का व्यापारी 250 रुपए प्रति क्विंटल की पूर्व निर्धारित कीमत पर डील करने को तैयार हो गया। उसने अपनी कमीशन ढाई रुपए प्रति किलो बताई। जब मंडी सचिव आर्य से उसके कमीशन के बारे में पूछा गया तो उसने इंडिया टुडे के रिपोर्टर के हाथ पर 5 रूपए लिख दिया। साथ ही आर्य ने जोर देकर कहा कि ये 5 रुपए क्विंटल है ना कि प्रति बोरी।

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