
आरोप था कि NEET में सभी लैंग्वेज में एक सा क्वेश्चन पेपर नहीं दिया गया था। इस मामले में मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच में एक पिटीशन लगाई गई थी। 24 मई को कोर्ट ने इसके रिजल्ट घोषित करने पर रोक लगा दी थी। बता दें कि ऐसी ही एक पिटीशन गुजरात हाईकोर्ट में भी लगाई गई है।
क्या है पूरा मामला
इस साल नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट हिंदी और अंग्रेजी के अलावा 8 लैंग्वेज में हुआ था। जिसमें असमी, बांग्ला, गुजराती, मराठी, कन्नड़, ओड़िया, तमिल और तेलुगू शामिल हैं। मदुरै बेंच में लगाई पिटीशन में कहा गया कि रीजनल लैंग्वेज में पूछे गए सवाल अंग्रेजी लैंग्वेज में पूछे गए सवालों के मुकाबले आसान थे। वहीं, गुजरात हाईकोर्ट में एक पिटीशन दाखिल कर कहा गया था कि गुजराती में पूछे गए सवाल अंग्रेजी के मुकाबले मुश्किल थे। वहीं सीबीएसई ने इस मामले में कहा था कि सभी पेपरों को मॉडरेटरों ने तय करके एक ही लेवल का निकाला था। बोर्ड का कहना है कि सभी लैंग्वेज में पेपर का डिफिकल्टी लेवल एक जैसा ही था।
इस एग्जाम का क्या फायदा
NEET के जरिए मेडिकल और डेंटल कॉलेज में एमबीबीएस और बीडीएस कोर्सेस में एंट्रेस मिलता है। इसके अलावा उन कॉलेजों में भी एंट्री मिलती है, जो मेडिकल कांउसिल ऑफ इंडिया और डेटल कांउसिल ऑफ इंडिया के तहत मान्यता प्राप्त होते हैं।