
केंद्र सरकार अप्रैल में वाटर रिसोर्स मिनिस्ट्री को ड्राफ्ट भेज चुकी है। ताकि इस पर बाकी एक्सपर्ट्स से सुझाव लिए जा सकें। मिनिस्ट्री के सूत्रों ने बताया कि ड्राफ्ट फाइनल करने से पहले केंद्र इसे उत्तराखंड, यूपी, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल की सरकारों के साथ साझा करेगी। गंगा इन राज्यों से होकर बहती है। जस्टिस गिरधर मालवीय के सुपरविजन में ड्राफ्ट तैयार हुआ है। इसमें गंगा के आसपास के एक किलोमीटर इलाके को वाटर सेविंग जोन घोषित करने का सुझाव दिया गया है। पैनल के एक एक्सपर्ट ने कहा कि गंगा की सफाई पर पिछले कुछ सालों में करोड़ों रुपए का खर्च किए गए। फिर भी कई इलाकों में इसकी हालत नालों जैसी है। इसलिए अब जिम्मेदारी और जुर्माना तय करने की जरूर है।
नए ड्राफ्ट में क्या है?
गंगा या सहायक नदियों में पत्थर, सैंड और मिट्टी के अवैध खनन पर 5 साल की सजा, 50 हजार जुर्माना या दोनों हो सकता है। जुर्माने की रकम में देरी होने पर सजा 7 साल तक बढ़ाई जा सकती है। अवैध तरीके से नदियों का पानी रोकने पर 2 साल की सजा और जुमाना, इसे 100 करोड़ तक बढ़ाया जा सकता है। नदियों के किनारों पर अवैध कब्जा करने पर एक साल की सजा और 50 करोड़ तक जुर्माना लगाया जा सकता है। गंगा या इसकी सहायक नदियों को पॉल्यूटेड करने पर मैक्सिमम एक साल की सजा, 50 हजार जुर्माना या दोनों। पंप के जरिए नदियों के पानी निकालने पर मैक्सिमम दो साल की सजा, 2 हजार जुर्माना या दोनों।
देश की दो नदियों को इंसानों जा दर्जा मिला
20 मार्च को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि गंगा देश की पहली जीवित नदी (living entity) है और इसे वे सारे हक मिलने चाहिए जो किसी इंसान को मिलते हैं। अब अगर कोई गंगा को पॉल्यूट करता है, तो उस पर उसी हिसाब से कार्रवाई की जाएगी, जो किसी इंसान को नुकसान पहुंचाने पर की जाती है। इसके कुछ, महीने बाद मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने नर्मदा सेवा यात्रा के दौरान नर्मदा नदी को भी इंसानों का दर्जा देने का एलान किया। उन्होंने कहा था कि इसके लिए असेंबली के अगले सेशन में बिल पास करेंगे।