आनंद ताम्रकार/बालाघाट। वारासिवनी-मोवाड़ राज्य मार्ग पर मेंहदीवाड़ा ग्राम के आगे श्री परवाईलिंग उघोग को बिजली प्रदाय करने के लिये सडक मार्ग को पार करते हुये 33 किलोवाट की हाईटेंशन लाईन ले जाई गई है जिसका केबिल काफी नीचे झूलाकर होकर लटक रहा है। विद्युत विभाग की ओर केबिल के नीचे कोई सुरक्षात्मक तार की जाली भी नही लगाई गई है। मजेदार तो यह है कि इस मामले में जब बिजली कंपनी के ईई ने कहा कि लाइन पूरी तरह सुरक्षित है। बता दें कि हाईटेंशन लाइन 3 फीट की दूरी से किसी भी चीज को खींच लेती है। इस लाइन की चपेट में आने का मतलब सीधी मौत है। मप्र में हाईटेंशन लाइन की चपेट में आकर कई लोगों की मौत हो चुकी है। यह दीगर बात है कि यह आज तक मुद्दा नहीं बना।
चूकी इस मार्ग पर 24 घण्टें सतत यातायात बना रहता है इस मार्ग से बडे़ वाहन भी गुजरते है केबिल लटकर इतनी कम उचाई तक आ गये है जिसके कारण कभी भी कोई बडी दुर्घटना घटित हो सकती है। इस संबंध में मध्य प्रदेश पूर्वी क्षेत्र विधुत वितरण कंपनी वारासिवनी के कार्यपालन यंत्री श्री वीके द्विवेदी को अवगत कराये जाने पर उन्होने मौके का मुआयना करने के पश्चात अवगत कराया की केबिल के तार काफी कम उचाई पर लटक रहें है उसके कारण किसी भी समय दुर्घटना घटित हो सकती है उनका विभाग संबंधित राईस मिल मालिक से केबिल को भूमिगत लाइन से ले जाने के लिये निर्देशित करेगा।
यह उल्लेखनीय है कि मिल प्रबंधन द्वारा मध्य प्रदेश राज्य सडक विकास प्राधिकरण से सडक पार करके हाईटेशन लाइन का केबिल ले जाने के लिये आवश्यक अनुमति नही ली गई है तथा बिना अनुमति लिये लाइन ले जाने पर कोई आपत्ति भी नही की इन विसंगतियों के चलते विघुत विभाग के कार्यपालन यंत्री द्वारा दिनांक 2 जून 2017 को पत्र क्रमांक 0943 के द्वारा यह अवगत कराया गया है कि सडक मार्ग को पार करती हुई लाइन का निर्माण विधुत अधिनियम 2003 में निहित सुरक्षा के प्रावधानों के अंतर्गत किया गया है।
अब यदि केबिल के टूट कर गिरने से अथवा किसी बडे वाहन के टकराने पर यदि कोई बडी दुर्घटना होती है तो कौन जिम्मेदार होगा? ऐसा प्रतीत होता की विघुत विभाग तथा सडक विकास प्राधिकरण केबिल के रूप में झूलती मौत से किसी बडी दुर्घटना का इंतजार कर रहे है जिसके बाद भी केबिल ले जाये जाने के लिये आवश्यक सुरक्षा प्रबंध करेगें।