बालाघाट: 2500 किलो पटाखे रोज तैयार होते थे, कभी कोई जांच नहीं हुई

आनंद ताम्रकार/बालाघाट। खैरी ब्लास्ट मामले में चश्मदीदों के बयानों के बाद जो तथ्य सामने आये है उसने प्रशासन की परेशानी और बढ़ा दी है। नियमावली के अनुसार 5 किलो बारूद की क्षमता वाली फैक्ट्री में 50 किलो पटाखे बनाये जा सकते है लेकिन यहां पांच गुना बारूद तैयार कर पटाखे तैयार किये जाते थे। हर रोज एक मजदूर करीब 600 पटाखे तैयार करता था करीब 2 दर्जर से अधिक मजदूर इस फैक्ट्री में रोजाना करीब 2.5 हजार किलो वजन के पटाखे तैयार करता था। सवाल यह है कि ऐसा कैसे हो सकता है कि प्रशासन को इस कारोबार का पता ही ना हो। क्यों किसी अधिकारी ने इसकी जांच नहीं की। 

7 जून को खैरी में स्थित पटाखा फैक्ट्री में 5 कंटेनर में बारूद था। करीब 2.5 हजार किलो बारूद की विस्फोटक सामग्री से धमाके के बाद 4 फीट गड्ढा हुआ और पटाखा फैक्ट्री के चीथडे उड़ गये। वाहिद वारसी की पटाखा फैक्ट्री में पीला पाउण्डर सोरा व बारूद को मिलाकर पांच टब में पटाखा बनाने का माल तैयार किया जाता था। एक टब में करीब 50 किलो बारूद पटाखा बनाने के लिये रखा जाता था। इस लिहाज से एक ट्पि में पांच टब बारूद से करीब 250 किलो बारूद से 2.5 हजार किलो पटाखे बनाता था वाहिद वारसी।

फैक्ट्री में 1 नंबर से लेकर 6 नंबर तक के पटाखे तैयार होते थे। सबसे अधिक मात्रा में 6 नंबर के शेर शिकार पटाखे तैयार किए जाते थे। 5 नंबर के पटाखे रोजाना 800 की संख्या में तैयार होते थे। इन पटाखों को तीन राज्य मध्यप्रदेश, महाराष्ट, छत्तीसगढ, में करता था पटाखों की सप्लाई। फैक्ट्री में काम करने वाले एक-एक मजदूर को 700 सुतली पटाखे तैयार करने का टारगेट होता था वहीं कुछ नये मजदूर भी थे जो एक दिन में 400 से 500 सुतली बम तैयार करते थे।

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