
याचिका एडवोकेट आयुष पांडे ने दायर की है। इसमें कहा है कि यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार ने मुआवजे की घोषणा किस आधार पर की है। प्रदेश के इतिहास में अब तक किसी को इतनी बड़ी रकम मुआवजे के रूप में नहीं दी गई। मामले को लेकर एक उच्चस्तरीय कमेटी भी बनाई गई है, लेकिन उसकी जांच रिपोर्ट आने के पहले ही सरकार ने मुआवजे की घोषणा कर दी। यह जांच करने की कोशिश भी नहीं की गई कि जिन मृतकों के परिजन को मुआवजा देने की घोषणा की गई, उनका आंदोलन में रोल क्या था और मरने वाले घटनास्थल पर क्या कर रहे थे।
निजी संपत्ति के नुकसान की भरपाई भी हो
याचिका में यह सवाल भी उठाया गया कि आंदोलन के दौरान सरकारी के साथ निजी संपत्ति को भी नुकसान पहुंचा। वहीं कानून व्यवस्था बनाए रखने में कई पुलिसकर्मी घायल हुए। सरकार मृतकों के परिजन को मुआवजा दे रही है तो निजी संपत्ति के नुकसान की भरपाई और घायल पुलिसकर्मियों को भी राहत दी जाना चाहिए। कोर्ट ने याचिका की सुनवाई के बाद प्रमुख सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया।