सपाक्स के कर्मचारी/कार्यकर्ता 30 अप्रैल को न्याय दिवस मनाएंगे | GOVERNMENT EMPLOYEE

भोपाल। आज दिनांक 16.04.2017 को सपाक्स संस्था और सपाक्स समाज संस्था की एक बैठक आयोजित हुई जिसमें प्रांतीय कार्यकारिणी के अतिरिक्त प्रदेश के 9 जिलों के संस्था पदाधिकारी उपस्थित हुए। बैठक में प्रदेश में "पदोन्नति में आरक्षण" को लेकर चल रहे अवरोध और न्यायालयीन निर्णय को शासन द्वारा लम्बित रखे जाने की निरंतर कोशिशों के कारण सपाक्स वर्ग के शासकीय सेवकों को हो रहे नुकसान के फलस्वरूप आंदोलन की आगामी रूपरेखा हेतु विमर्श किया गया।

यह निश्चित किया गया कि दिनांक 30 अप्रेल, जिस दिन लम्बे कड़े संघर्ष के बाद न्यायालयीन जीत हुई थी, पूरे प्रदेश में "न्याय दिवस" के रुप में मनाया जावेगा। दिनांक 10 मई, जिस दिन म॰प्र॰ सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में मा. उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध एक वर्ग विशेष के दबाव में अपने राजनैतिक हितों के दृष्टिगत अपील की गई थी, को "काला दिवस" के रुप में प्रदेश भर में मनाया जावेगा।

दिनांक 12 जून को प्रदेश के मुखिया मान मुख्यमंत्री बिना आमंत्रण राजधानी में आयोजित 'अजाक्स के महासम्मेलन'में पहुँचे थे और बहुसंख्यक वर्ग को खुली चेतावनी दी कि "उनके रहते हुए कोई माई का लाल आरक्षण समाप्त नहीं कर सकता". उनके द्वारा प्रकरण न्यायालय में ले जाये जाने और मामला सब्जुडिस होने के बावजूद कहा गया कि वे सारे नियम बदल देंगे और किसी को भी पदावनत नहीं होने देंगे. यह न्यायालय की स्पष्ट अवमानना थी. 

संस्था 12 जून को पूरे प्रदेश में ’'धिक्कार दिवस'’मनायेगी. विगत वर्ष आंदोलन का शुभारंभ 24 मई को नीमच जिले की रेली से किया गया था. 12 जून के बाद प्रदेश व्यापी रेलियां फ़िर से प्रारंभ की जावेगी.

विगत 1-वर्ष से सरकार द्वारा दायर अपील के बाद से पदोँनतिया पूरी तरह बाधित हैं जबकि प्रशासनिक व्यवस्थाए ध्वस्त हो रही हैं शासकीय सेवक अतिरिक्त प्रभार से मानसिक दबावों में कार्य करने को मजबूर हैं लेकिन सरकार बजाय निर्णय शीघ्र कराने की पहल करने के सिर्फ सुनवाई बढ़वाने की ही कार्यवाही करती है. "पदोन्नति में आरक्षण" के मामलों में मान सर्वोच्च न्यायालय का स्पष्ट मत है. एकाधिक प्रकरणों में पहले भी सर्वोच्च न्यायालय स्पष्ट निर्णय दे चुका है और इस  प्रकरण के नतीजे भी सभी को अनुमानित हैं. ऐसे में अपने ही अधीनस्थ सेवकों से दोहरा व्यवहार कर जिस तरह का अहित बहुसंख्यक वर्ग का किया जा रहा है उससे सपाक्स वर्ग के सेवक रोष में हैं. विगत एक वर्ष से लगातार शांतिपूर्ण अनुशासित विरोध के बावजूद सरकार पर किसी प्रकार का कोई प्रभाव नहीं होना अत्यंत दुखद है. 

सपाक्स संस्था एवं सपाक्स समाज संस्था सम्मिलित रुप से अब सामाजिक जागरूकता की वृहद मुहिम चलायेगी ताकि बहुसंख्यक वर्ग को बताया जा सके कि असंवैधानिक नियमों से किस प्रकार नवयुवाओं को रोजगार से वंचित होना पड़ रहा है.

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