
अक्सर यह देखा गया है कि सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति की मदद करने से लोग इस लिए कतराते हैं कि कहीं वह किसी कानूनी पचड़े में न फंस जाएं. इसी डर से कई बार घायलों को वक्त रहते मदद नहीं मिल पाती और ये देरी उनके लिए जानलेवा साबित होती है. इस बारे में लंबे वक्त से मांग उठती रही है कि ऐसे मददगारों को कानूनी सुरक्षा दी जाए, ताकि उनके मन में बेवजह के कानूनी झमेलों फंसने का डर निकाला जा सके।
केंद्र सरकार ने भी इसके लिए गुड समार्टियन कानून बनाया है और सुप्रीम कोर्ट भी पुलिस समेत अस्पतालों को निर्देश दे चुकी है कि घायलों को अस्पताल में लाने वालों से पूछताछ न हो और उन्हें किसी कानूनी कार्रवाई में न शामिल किया जाए. बल्कि घायल को अस्पताल पहुंचाने पर सबसे पहले उनका इलाज किया जाए, ताकि उसकी जान बचायी जा सके. साथ ही घायल को अस्पताल पहुंचाने वाले शख्स से अव्वल तो कोई सवाल न ही किया जाए और जरूरत हो तो कम से कम कागज़ी कार्रवाई हो.
दिल्ली सरकार ने भी इस दिशा में एक कदम और बढ़ाते हुए मददगारों को पुरुस्कृत करने का फैसला किया है, ताकि न सिर्फ उनके मन से खौफ निकले, बल्कि उनके मन में ये भावना भी आए कि उनके काम को सराहा गया है. दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया के मुताबिक, सरकार चाहती है कि सड़क पर घायल लावारिस ना पड़ा रहे और लोग घायलों की मदद के लिए प्रोत्साहित हों.